अर्थव्यवस्था

BS BFSI Summit: वृद्धि की मिली जुली तस्वीर मगर सकारात्मक पहलू अधिक- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

अक्टूबर की नीतिगत समीक्षा में रुख को निरपेक्ष करने के बावजूद रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया था। अगली नीतिगत समीक्षा 4-6 दिसंबर के बीच होगी।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 06, 2024 | 11:19 PM IST

BS BFSI Summit: अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान रुख को बदलकर तटस्थ करने के बाद भी भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आर्थिक वृद्धि पर भरोसा जताते हुए यही संकेत दिया कि निकट भविष्य में दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है।

दास ने बुधवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कहा, ‘मुझे लगता है कि केवल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों और शहरी इलाकों में एफएमसीजी की बिक्री में ही गिरावट आई है। इससे पहले वस्तु एवं सेवा कर, ईवे बिल, टोल संग्रह, हवाई यात्रियों की संख्या, स्टील उद्योग का प्रदर्शन, सीमेंट क्षेत्र और वाहन क्षेत्र आदि ने बेहतर प्रदर्शन किया। आंकड़े मिलीजुली तस्वीर दिख रहे हैं लेकिन सकारात्मक पहलू अधिक हैं।’

अक्टूबर की नीतिगत समीक्षा में रुख को निरपेक्ष करने के बावजूद रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया था। अगली नीतिगत समीक्षा 4-6 दिसंबर के बीच होगी। दास ने कहा कि सितंबर में मुद्रास्फीति 5.5 फीसदी रही लेकिन अक्टूबर में यह एक बार फिर ऊंचे स्तर पर जा रही है। उन्होंने कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं कि अगली बैठक में दरों में कटौती होगी।

कार्यक्रम में भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्‌टी ने कहा कि बैंक मूल्यवर्धित सेवाओं को तरजीह दे रहे हैं और उपभोक्ताओं के साथ रिश्ता मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आज हम सभी जमा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं जिससे ग्राहकों का ध्यान इस बात पर जा रहा है कि उनके खाते से जुड़ी मूल्यव​र्धित सेवाएं बढ़ी हैं।’

बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एमडी और सीईओ) देवदत्त चंद ने कहा, ‘हम बैंक अर्थव्यवस्था का अनुकरण करते हैं। जब तक वह मजबूत है मुझे लगता है बैंकिंग क्षेत्र भी अच्छी स्थिति में रहेगा।’

निजी क्षेत्र के बैंकरों ने जमा दरों के बजाय ग्राहक सेवा पर जोर दिया। येस बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा, ‘शुरुआत से ही निजी क्षेत्र के बैंक इस बात से अवगत रहे हैं उन्हें अपने अस्तित्व के लिए जमा बढ़ाना होगा और उसके लिए वे ग्राहकों तक पहुंचते रहे हैं।’ विदेशी बैंकों के सीईओ मानते हैं कि भारत में काम कर रहे इन बैंकों को अर्थव्यवस्था की मजबूती का लाभ मिला है और भारत उनके लिए रणनीतिक महत्व का देश बना हुआ है भले ही अधिकांश ऐसे बैंक खुदरा बैंकिंग में नहीं है।

एचएसबीसी इंडिया के सीईओ हितेंद्र दवे ने कहा, ‘देश की आबादी 1.40 अरब है। इनमें से दो-तीन फीसदी लोगों की जरूरत ऐसी होगी जिसे कोई वैश्विक बैंक ही पूरा कर पाएगा। उदाहरण के लिए अगर कोई अपने बच्चे को अध्ययन या नौकरी के लिए विदेश भेजना चाहता है तो उसे दूसरे देशों में धन भेजना होगा।’

स्माल फाइनैंस बैंकों के अधिकारियों ने कहा कि वे पारंपरिक बैंक के रूप में काम करने का लाइसेंस चाहते हैं और उनके पास कोर बैंकिंग, सूचना प्रौद्येगिकी तथा संचालन सहित इस बदलाव की पूरी व्यवस्था है। रेजरपे के सह संस्थापक शशांक कुमार ने कहा कि देश में फिनटेक व्यवस्था के विकास के लिए नियमन जरूरी हैं और मापदंड नए दौर की कंपनियों में नवाचार को बाधित नहीं करते हैं।

First Published : November 6, 2024 | 11:16 PM IST