प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रशासनिक सेवाओं में व्यापक सुधार करने के साथ ही मंत्रालयों को व्यवस्थित किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित सालाना बीएस मंथन शिखर सम्मेलन के पहले दिन ‘भारत को अनिश्चितता वाली दुनिया से कैसे निपटना चाहिए’ विषय पर एक चर्चा के दौरान, मिश्रा ने हाल के वर्षों में कृषि विकास में वृद्धि, विशेष रूप से बागवानी, डेरी और मत्स्य पालन जैसे कई मुद्दों पर बात की साथ ही इस चर्चा में यह विषय भी अहम था कि छोटे किसान आने वाले वर्षों में भी कैसे प्रासंगिक बने रहेंगे।
प्रशासनिक सेवाओं में सुधारों के मुद्दे पर, मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2014-15 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के शुरुआती वर्षों में कई मंत्रालयों को सुव्यवस्थित किया गया था। इसके बाद, अफसरशाही के वरिष्ठ स्तरों पर भी कार्मिक प्रबंधन की पूरी प्रणाली बदल दी गई जो अभूतपूर्व है।
मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का विजन अलग-थलग के बजाय तैयारियों पर केंद्रित है। मिश्र ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी ने दिखाया कि हम बाहरी स्रोतों पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हो सकते क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है। इसीलिए प्रधानमंत्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात करते हैं।’
मिश्रा ने जोर देकर कहा कि किस तरह दुनिया ने कोविड-19 महामारी से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में जारी तनाव जैसे एक के बाद एक संकटों का सामना किया। उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया में और भी अनिश्चितता है। आर्थिक आशंकाएं लगातार बढ़ी हुई हैं और कई देश मंदी का मुकाबला करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज लागू कर रहे हैं।’ उन्होंने जोर दिया कि बदलती वैश्विक व्यापारिक माहौल में भारत द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संबंधों पर ध्यान देना जारी रखेगा। मिश्र ने कहा कि भारत की वृद्धि के लिए कृषि महत्त्वपूर्ण है जो इस धारणा के उलट है कि जब देश विकास करता है तो कृषि का महत्त्व कम हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की आर्थिक संरचना में बदलाव के बावजूद कृषि क्षेत्र महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वृद्धि के बावजूद यह क्षेत्र कम महत्वपूर्ण नहीं होगा।’ मिश्रा ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी कम हुई है लेकिन रोजगार सृजन में इसकी भूमिका में काफी हद तक कोई बदलाव नहीं आया है। मिश्रा ने कहा, ‘एक समय था जब हम खाद्यान्न के लिए बाहरी सहायता पर निर्भर थे। लेकिन आज हम निर्यातक बन चुके हैं। कृषि निर्यात इस प्रगति का एक अहम हिस्सा है।’
उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र जोखिमों से बचा नहीं है। हालांकि, 2014 के बाद कृषि विकास की दर में वृद्धि हुई है। बागवानी, मत्स्य पालन और डेयरी क्षेत्र भी बढ़ रहे हैं।’ भारतीय कृषि क्षेत्र में विविधता की भूमिका पर जोर देते हुए मिश्र ने कहा कि गैर- कृषि क्षेत्र की आमदनी पर जोर दिया जाना चाहिए।