राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार 1 अप्रैल से देश भर में नए श्रम कानून को लागू करने की योजना बना रही है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने आज कहा, ‘हम 1 अप्रैल से नए श्रम कानून लागू करने को इच्छुक हैं। हमने नियमों के आकार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो संहिता के तहत तैयार किए जाएंगे। हमें विश्वास है कि इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’
नए श्रम कानून लागू होने पर उद्योगों को प्राधिकारियों के पास सिंगल रिटर्न दाखिल करना होगा। साथ ही उद्योगों को अब न्यूनतम वेतन की संख्या के मामले में 12 ढांचों का अनुपालन करना होगा, जिनकी संख्या केंद्रीय श्रम कानूनों में 540 थी। इसी तरह राज्य के कानूनों में अब यह 180-200 होंगे, जो इस समय 9000 से ज्यादा हैं।
बहरहाल एक महत्त्वपूर्ण काम यह भी है कि राज्यों को भी मार्च 2021 तक नियम तैयार करने को कहा गया है। नया कानून राज्य सरकारों को अधिकार देगा कि वे अपने क्षेत्र में आने वाले ज्यादातर प्रतिष्ठानों के लिए नियम बना सकें। उदाहरण के लिए केंद्र सरकार औद्योगिक श्रम संहिता 2020 के तहत करीब 57 नियम बनाएगी, वहीं राज्यों को करीब 40 नियम बनाने होंगे।
केंद्र सरकार के अधिकार में कोयला, खनन, बैंकिंग, नागरिक उड्डयन क्षेत्र हैं और इस साल नवंबर तक 3 श्रम कानूनों के तहत नियमों का मसौदा जारी होगा। इन नियमों पर 45 दिन तक लोग प्रतिक्रिया दे सकेंगे।
श्रम सचिव ने राज्यों के सभी मुख्य सचिवों को इस सप्ताह की शुरुआत में पत्र लिखकर कहा था कि वे जल्द नियम तैयार करें, जिससे नई संहिता को समय से लागू किया जा सके।
हालांकि संहिताओं में केंद्र सरकार को विकल्प दिया गया है कि नए श्रम कानून चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकती है, लेकिन सरकार इन्हें एक बार में लागू करने पर विचार कर रही है। 29 श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में तब्दील कर दिया गया है। इन संहिताओंं को संसद के मॉनसून सत्र में उस समय मंजूरी मिली थी, जब विपक्ष ने कृषि विधेयक के विरोध में संसद के कामकाज का बहिष्कार किया था।