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एक नई कवायद के तौर पर केंद्र सरकार आदर्श सौर ग्राम के चयन और नई पीएम-सूर्य घर योजना (PMSY) के तहत अनुदान देने के लिए गांवों के बीच प्रतिस्पर्धा या ‘चुनौती’ पेश करेगी। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के हाल के दिशानिर्देशों के मुताबिक देश के प्रत्येक जिले में एक आदर्श सौर ग्राम बनाना है।
इस साल की शुरुआत में पेश की गई योजना में ग्रिड से इतर सौर समाधान बढ़ाने के लिए आवासीय मकान, वाणिज्यिक/ औद्योगिक/ सरकारी भवन और आदर्श सौर ग्राम जैसे तीन तीन तरीके शामिल हैं।
मंत्रालय ने प्रत्येक आदर्श गांव के लिए 1 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के प्रावधान के साथ इसके लिए कुल 800 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। दिशानिर्देशों के मुताबिक, आदर्श सौर ग्राम बनने के लिए किसी गांव का चयन प्रतिस्पर्धा या एक तरह की चुनौती के जरिए होगा।
इसमें कहा गया है, ‘इसके तहत जिले के गांवों को खासतौर पर पीएम सूर्य घरः मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम जैसी अन्य सरकारी योजनाओं के तहत बांटे गए सौर उपकरण स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पीएम-कुसुम केंद्र सरकार की एक अन्य योजना है, जिसके तहत सरकार का लक्ष्य खेतों को सौर ऊर्जा प्रदान करना है।’
दिशानिर्देश में कहा गया है कि प्रतिस्पर्धा की अवधि समाप्त होने के बाद यह मूल्यांकन किया जाएगा कि किसी गांव की राजस्व सीमा के भीतर कुल कितनी वितरण नवीकरणीय क्षमता स्थापित की गई है। जिस गांव की सीमा में सर्वाधिक क्षमता रहेगी उसे ही जिले का आदर्श सौर ग्राम माना जाएगा।
गांवों का चयन होने के बाद उन्हें योजना के तहत अनुदान राशि दी जाएगी। दिशानिर्देश में यह भी कहा गया है कि दी गई रकम का लक्ष्य गांवों को हर वक्त (24 घंटे सातों दिन) सभी बिजली जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनाना होना चाहिए।
इसमें कहा गया है, ‘इसमें कृषि, आवासीय, वाणिज्यिक और सरकारी क्षेत्रों की बिजली जरूरतों को पूरा करना शामिल हो सकता है। अगर जुटाई गई धनराशि पूरी नहीं पड़ती है तो भी गांव को बिजली की जरूरतों के लिए नेट जीरो का दर्जा हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।’ नेट जीरो का मतलब साल भर में गांव में जितनी बिजली खपत होती है, उतनी बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाए।
गुजरात के मेहसाणा जिले का मोढेरा देश का पहला और इकलौता आदर्श सौर ग्राम है। इस गांव में 24 घंटे सौर ऊर्जा का उपयोग होता है और ग्रामवासी बिजली के लिए कोई भुगतान नहीं करते हैं। इस परियोजना के लिए केंद्र और गुजरात सरकार ने संयुक्त तौर पर आर्थिक सहायता दी है। यह पीएम-सूर्य घर योजना पेश होने से पहले से है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 13 फरवरी को 1 करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए 75,000 करोड़ रुपये के लागत वाली एक नई योजना की घोषणा की थी।
योजना की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था, ‘लोगों के बैंक खातों में दी जाने वाली पर्याप्त सब्सिडी और बैंकों से मिलने वाले ऋण पर भारी रियायत के साथ केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों पर इसकी लागत का कोई बोझ न पड़े। सभी हितधारकों को एक राष्ट्रीय ऑनलाइन पोर्टल पर एकीकृत किया जाएगा ताकि यह और सुविधाजनक हो सके।’
सरकार के स्वामित्व वाली वित्तीय कंपनी REC लिमिटेड राष्ट्रीय पोर्टल का नेतृत्व कर रही है और उससे पहले ही 20 बैंक और गैर-बैंकिंग वित्त संस्थान जुड़ चुके हैं जो घरों की छत पर सौर संयंत्र लगाने वाले लोगों को ऋण देंगे। यही नहीं, ऊर्जा मंत्रालय के तत्त्वावधान में आठ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) कई राज्यों में इस योजना को आगे बढ़ाएंगी। पीएम- सूर्य घर योजना के तहत कुल परियोजना लागत की 60 फीसदी सब्सिडी होगी और शेष ऋण रहेगा। ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह ऋण परिवारों को नहीं बल्कि परियोजना लागू करने वाली पीएसयू को लेना होगा।
आदर्श सौर ग्राम के लिए जिलास्तरीय समिति गठित की जाएगी, जो योजना की निगरानी और समन्वय करेगी। इसके अलावा, दिशानिर्देशों के अनुसार पंचायतों को जागरूकता अभियान में भी शामिल किया जाएगा।
दिशानिर्देश में कहा गया है, ‘पंचायत का लक्ष्य मौजूदा विक्रेता नेटवर्क का लाभ लेना और संभावित लाभार्थियों को बैंकों से जोड़ना होगा ताकि सामान्य तौर पर सौर प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा सके और खासतौर पर मकानों की छत पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाए जा सकें।’