महंगाई की मार झेल रही आम जनता को शनिवार से राहत मिलने की संभावना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को घरेलू गैस की कीमतें तय करने को लेकर बनाई गई किरीट पारिख कमिटी (Kirit Parekh Committee) की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। अब देश में गैस के दाम नए फॉर्मूले के आधार पर तय किए जाएंगे। इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही हैं कि शनिवार 8 अप्रैल से CNG और PNG के दामों में कटौती देखने को मिल सकती हैं। हालांकि विश्लेषकों ने कहा कि ईंधन को नियमन मुक्त किये जाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
नए फॉर्मूले के तहत अब प्राकृतिक गैस की कीमत इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट के औसत मासिक दाम का 10 फीसदी होगी। हालांकि, यह कीमत चार डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश ताप इकाई (एमएमबीटीयू) से कम नहीं होगी। इसके लिए ऊपरी मूल्य सीमा 6.5 डॉलर प्रति इकाई तय की गई है। इस फैसले से सरकार को अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले कीमतों को बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी। नए फॉर्मूले के आधार पर कीमतों का निर्धारण करने पर उम्मीद जताई जा रही है कि PNG की कीमत में लगभग 10 फीसदी और CNG की कीमत में 5 से 6 रुपए प्रति किलो की कमी आएगी।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘संशोधित घरेलू गैस मूल्य निर्धारण से संबंधित मंत्रिमंडल के निर्णय से उपभोक्ताओं के लिए कई लाभ हैं। यह इस क्षेत्र के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम है।’
किरीट पारिख कमिटी की सिफारिशों को मंजूरी मिलने के बाद अब देश में नए फॉर्मूले के तहत हर महीने गैस की कीमत तय की जाएगी। पहले 6 महीने में गैस की कीमत तय की जाती थी। अब गैस की कीमत इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट के औसत मासिक दाम के आधार पर तय होगी, जबकि पहले दुनिया के चारों गैस ट्रेडिंग हब (अलबेना, हेनरी हब, नेशनल बैलेसिंग प्वाइंटर (UK) और रूसी गैस) के पिछले एक साल की कीमत के औसत के आधार पर तय होता था।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगर पिछली मूल्य निर्धारण व्यवस्था जारी रहती, तो कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती थी। हालांकि, सरकार ने 2027 तक कीमतों को पूरी तरह से नियमन मुक्त करने की समिति की सिफारिश पर कदम नहीं उठाया है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि नियमन से मुक्त किये जाने के मामले को स्थगित कर दिया गया है या अभी के लिए रोक दिया गया है।’ मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि दरों में दो साल तक बदलाव नहीं होगा और उसके बाद सालाना 0.25 अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी की जाएगी। इससे पहले 2027 तक नियमन मुक्त करने के लिए हर साल 0.50 डॉलर प्रति यूनिट की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव था।
एक विश्लेषक ने कहा कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी चुनावी मुद्दा बन सकती थी। पारिख समिति ने यह सिफारिश भी की थी कि गैस को माल और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत लाना चाहिए। राज्य स्तर पर वैट की जगह जीएसटी जैसे सामान्य कराधान से बाजार को विकसित करने में मदद मिलेगी। अभी यह नहीं पता है कि मंत्रिमंडल ने इस सिफारिश को स्वीकार किया या नहीं।
क्रिसिल ने कहा कि संशोधित गैस मूल्य निर्धारण मानदंड ने शहरी गैस वितरकों को गैस की कीमतों में अधिक स्थिरता मिलेगी और वे वैकल्पिक ईंधन के साथ प्रतिस्पर्धी बने रहेंगे। अगस्त 2021 से अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कीमतों में उछाल के कारण CNG और PNG की कीमतों में 80 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।