प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्रीय कोयला सचिव विक्रम देव दत्त ने आज कहा है कि इस साल 70 लाख टन अधिक कोयला उत्पादन होने की संभावना है, जिससे अक्टूबर के अंत तक देश के ताप संयंत्रों में कोयला भंडारण 3.7 करोड़ टन रह सकता है। पिछले साल अक्टूबर के अंत तक कोयला भंडार 3 करोड़ टन था।
बीते दिनों भारतीय मौसम विभाग ने इस साल अप्रैल से जून के दौरान ज्यादा दिन लू चलने की आशंका जताई है, जिससे भारत में इस साल गर्मियों में बिजली की रिकॉर्ड 270 गीगावॉट मांग रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 250 गीगावॉट थी।
ऐसी स्थिति में कोयला का शुरुआती भंडार पर्याप्त रहने से ताप बिजली उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह भी देखा जाता है कि मॉनसून के दौरान ताप बिजली संयंत्रों द्वारा कोयला का उठाव कम हो जाता है। भारत की ताप बिजली संयंत्र की क्षमता 247 गीगावॉट है, लेकिन सभी विद्युत स्रोतों की स्थापित क्षमता 470 गीगावॉट है। इस साल 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक होने वाले 11वें एशियाई खनन कांग्रेस (एएमसी) और अंतरराष्ट्रीय खनन प्रदर्शनी (आईएमई) के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दत्त ने कहा, ‘इसलिए कोयला मंत्रालय ताप बिजली संयंत्रों में भंडार बढ़ाने की योजना बना रहा है ताकि मॉनसून में अगर कम आती है तो उसका असर देखने को नहीं मिले।’
ऐतिहासिक रूप से साल की पहली छमाही बिजली की सर्वाधिक खपत के बाद 1 अप्रैल को शुरुआती भंडार में आमतौर पर करीब 1.7-1.8 करोड़ टन की कमी रहती है। इस साल 1 अप्रैल तक ताप बिजली संयंत्रों में भंडार 5.5 करोड़ टन था, जो अब तक के उच्चतम स्तर पर है और एक साल पहले के मुकाबले 16.1 फीसदी अधिक है।
सचिव ने कहा, ‘अगर हम इन आंकड़ों को सही मानें तो इस साल अक्टूबर के अंत तक कोयला भंडार पिछले साल के 3 करोड़ टन के मुकाबले बढ़कर 3.7 करोड़ टन होगा।’
एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 1.04 अरब टन कोयला का उत्पादन किया था, जो एक साल पहले के मुकाबले करीब 5 फीसदी अधिक है।