मुआवजे पर टकराव की स्थिति

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:16 AM IST

ऐसा लगता है कि राज्य अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति के मद्देनजर जीएसटी प्रणाली के तहत मुआवजे को लेकर केंद्र के प्रस्ताव के खिलाफ काफी मुखर हैं।

मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषण के मुताबिक 14 राज्यों के कुल प्राप्तियों में वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 18.2 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि कुल खर्च में महज 2.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। देश में सभी राज्यों की कुल हिस्सेदारी में इन राज्यों की हिस्सेदारी 63 फीसदी है।  

प्राप्ति संबंधी विवरण से पता चलता है कि इस दौरान राज्यों की कुल प्राप्ति में 32.1 फीसदी (केंद्र का हस्तांतरण सहित) और गैर कर राजस्व प्राप्तियों में 27 फीसदी की कमी आई।   

इसके उलट पहली तिमाही में केंद्र से अनुदान में 56 फीसदी का इजाफा हुआ।  राज्यों के अपने करों के भीतर, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्कों में इस दौरान 58 फीसदी का संकुचन आया।   

राजस्व खर्च में 9.7 फीसदी की वृद्धि हुई। दूसरी तरफ राज्यों के ऋण और अग्रिम सहित पूंजीगत व्यय में तिमाही के दौरान 43.5 का संकुचन हुआ। यह पिछली पांच तिमाहियों में लगातार चौथा संकुचन है।

आगे के विवरण से पता चलता है कि ब्याज भुगतान में जहां 24 फीसदी का इजाफा हुआ वहीं वेतन और लागतों (12 राज्यों पर आधारित) में वृद्धि 2.3 फीसदी के साथ मामूली रही। पेंशनों में महज 0.6 फीसदी का इजाफा हुआ।

राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि 14 राज्यों में से चार राज्य झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड को अभी भी उस तिमाही में राजकोषीय अधिशेष प्राप्त हुआ। वहीं केरल और आंध्र प्रदेश में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का करीब 70 फीसदी रहा और तेलंगाना में यह 50 फीसदी से अधिक रहा।  

अंत में जब केंद्र और 14 राज्यों के वित्त को जोड़ते हैं तो उस तिमाही में कुल प्राप्तियों में 39.4 फीसदी की कमी आई जबकि केंद्र सरकार की ओर से अनुदानों के लिए समायोजित करने के बाद सरकारों द्वारा कुल खर्च में मामूली 7.1 फीसदी का इजाफा हुआ।

समग्र तौर पर केंद्र की ओर से जहां पूंजीगत व्यय जिसमें ऋण और अग्रिम शामिल है, में उस तिमाही में 40 फीसदी का इजाफा हुआ। केंद्र और 14 राज्य सरकारों के संयुक्त पूंजीगत व्यय में महज 2 फीसदी की वृद्धि हुई।  

मोतीलाल ओसवाल ने रिपोर्ट में कहा, ‘इसलिए, चूंकि राज्यों का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में पहले ही बजट अनुमान के 37 फीसदी हो चुका है, इससे आगामी महीनों में राज्यों के खर्च करने की सीमित क्षमता का संकेत मिलता है।’

First Published : September 12, 2020 | 12:12 AM IST