आठ प्रमुख उद्योगों की वृद्धि दर सितंबर में गिरकर 4.4 प्रतिशत रह गई, जो इसके पहले महीने में 11.5 प्रतिशत थी। उर्वरक का उत्पादन स्थिर रहने, कच्चे तेल के उत्पादन में कमी और बिजली उत्पादन में विस्तार सुस्त रहने के कारण ऐसा हुआ है। इसकी वजह से इस महीने के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में कमी आ सकती है, भले ही त्योहार के मौसम के स्टॉक बनाए गए हैं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में प्रमुख क्षेत्र की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत होती है।
दरअसल अगस्त की तुलना में सितंबर महीने में प्रमुख क्षेत्र में 5 प्रतिशत संकुचन आया है। अगस्त महीने में वृद्धि पिछले साल के समान महीने के 6.9 प्रतिशत संकुचन आधार पर थी, वहीं सितंबर महीने में भी आधार ज्यादा नहीं था और वित्त वर्ष 21 के छठे महीने में वृद्धि 0.6 प्रतिशत थी।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सितंबर महीने में भारी बारिश की वजह से बुनियादी ढांचा गतिविधियां प्रभावित हुईं, खासकर निर्माण क्षेत्र की वजह से वृद्धि नीचे आ गई है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर कम रहने और वाहन उत्पादन में सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से सितंबर की आईआईपी वृद्धि पर 3 से 5 प्रतिशत का असर पड़ सकता है, भले ही त्योहार के पहले का भंडारण किया गया है, जैसा कि ईवे बिल से पता चलता है।’
अगर सड़क के मार्ग से कम से कम 50,000 रुपये की ढुलाई होती है तो ईवे बिल बनाना पड़ता है। यह सितंबर में बढ़कर 67.94 करोड़ हो गया है, जो अगस्त में 65.89 करोड़ था। आईआईपी में मार्च, 2021 से ही कम से कम दो अंक में वृद्धि हो रही है। यह कम आधार के कारण अप्रैल में 133.5 प्रतिशत बढ़ा था। इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘साफ है कि एक सार्थक औद्योगिक विकास का मार्ग अभी धुंधला है।’
बहरहाल आठ उद्योगों में सितंबर महीने में कोविड के पहले के सितंबर, 2020 की तुलना में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रमुख क्षेत्र में 16.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 14.5 प्रतिशत का संकुचन आया था। बहरहाल चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्धि घटकर 8.6 प्रतिशत रह गई, जो पहली तिमाही में 82.1 प्रतिशत थी। इसकी वृद्धि में कुछ कमी की संभावना थी, क्योंकि पहली तिमाही की तुलना में आधार का असर कम था।
अगर आईआईपी की वृद्धि में दूसरी तिमाही में कोई कमी आती है तो इससे इस अवधि के दौरान औद्योगिक जीडीपी पर असर पड़ेगा।
बहलहाल औद्योगिक जीडीपी मूल्य से जुड़ा आंकड़ा है जबकि आईआईपी मात्रा से जुड़ा आंकड़ा है।
सितंबर महीने में उर्वरक का उत्पादन महज 0.02 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अगस्त में 3.1 प्रतिशत की गिरावटआई थी। डीएपी व अन्य कांप्लेक्स उर्वरकों का उत्पादन कम हुआ है क्योंकि कच्चे माल के अंतरराष्ट्रीय दाम में तेज बढ़ोतरी के कारण कंपनियों ने आयात में कटौती की है। यह बढ़ोतरी इतनी ज्यादा है कि सब्सिडी के बाव जूद आयात अव्यावहारिक हो गया है।