कच्चे तेल कीमतों को आपूर्ति झटके के तौर पर देखा जाना चाहिए: पात्रा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:47 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा है कि यूक्रेन में चल रहे युद्घ के कारण वैश्विक कच्चा तेल कीमतों में आई हालिया तेजी बहुत बड़ा जोखिम है लेकिन इसे मौद्रिक नीति की दृष्टि से आपूर्ति झटके के तौर पर लिया जाना चाहिए।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्घ ने वैश्विक कच्चा तेल कीमतों को 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा दिया। 2014 के बाद से ऐसा पहली बार देखा जा रहा है। बढ़ती कीमतों का असर घरेलू मुद्रास्फीति पर पडऩा लाजिमी है क्योंकि देश में कच्चे तेल की जरूरत के 80 फीसदी से अधिक का आयात किया जाता है। पात्रा ने कहा कि युद्घ की वजह से रिजर्व बैंक के वृद्घि और मुद्रास्फीति अनुमानों पर पडऩे वाले असर की समीक्षा मौद्रिक नीति समिति की अगली समीक्षा बैठक में किया जाएगा। यह बैठक 6 से 8 अप्रैल को आयोजित की जानी है।    
रिजर्व बैंक ने 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7.8 फीसदी की वृद्घि का अनुमान जताया है जबकि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी और अप्रैल से जून की अवधि में 4.9 फीसदी रहने का अनुमान है। पात्रा ने कहा, ‘यूक्रेन में युद्घ की स्थिति पनपने तथा उसके पडऩे वाले असर की समीक्षा की जरूरत है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो महीने पर होने वाली बैठक का चुनाव यह सुनिश्चित करता है कि समीक्षा की जाएगी।’  
दिलचस्प बात यह है कि पात्रा ने कहा कि उत्पाद शुल्क को समायोजित करने की गुंजाइश के कारण खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी में देरी की जा सकती है।
उन्होंने टेपर 2022 : टचडाउन इन टर्बुलेंस विषय पर भाषण देते हुए कहा,  ‘मुद्रास्फीति के संबंध में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बहुत बड़ा जोखिम उत्पन्न कर रही है तब भी उत्पाद शुल्क को समायोजित करने की गुंजाइश से कीमत वृद्घि में देरी की जा सकती है।’
उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पैदावार और बफर स्टॉक के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी की संभावना उज्जवल बनी हुई है और मजबूत आपूर्ति तथा घेरलू उत्पादन मुद्रास्फीति की दृष्टि से संवेदनशील दलहनों और खाद्य तेल कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित कर सकता है।

First Published : March 11, 2022 | 11:51 PM IST