व्यक्तिगत आयकर और निगम कर संग्रह में अहम सुधार की बदौलत नवंबर में प्रत्यक्ष कर संग्रह के संकुचन में अहम कमी आई है। इससे चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों और रोजगार उपलब्धता में और सुधार आने का संकेत मिलता है।
रिफंड को घटाने के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह नवंबर के अंत तक 25 फीसदी कम था, जबकि इसमें सितंबर तक गिरावट 31.4 फीसदी थी। इस तरह इसमें सुधार आया है। संग्रह मेंं सुधार से केंद्र को राहत मिलेगी, जिसे आर्थिक गतिविधियों को सहारा के लिए व्यय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
कम रिफंड जारी होने और आर्थिक स्थितियों मेंं सुधार की बदौलत व्यक्तिगत आयकर में संकुचन नवंबर तक घटकर 13 फीसदी रह गया, जो सितंबर तक 22 फीसदी था। निगम कर संग्रह में गिरावट नवंबर तक मामूली सुधार के साथ 36 फीसदी रही, जो सितंबर में 40 फीसदी थी। पिछले सााल सितंबर में निगम कर में कमी के आधार प्रभाव का असर दिसंबर में नजर आएगा क्योंकि इस महीने के मध्य तक अग्रिम कर संग्रह की तीसरी किस्त आ जाएगी।
एक सरकारी अधिकारी द्वारा साझा किए गए शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक 30 नवंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.09 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल की इसी अवधि के संग्रह 5.44 लाख करोड़ रुपये से कम है। यह संग्रह वित्त वर्ष 2020-1 के बजट में अनुमानित 13.19 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का महज 31 फीसदी है। रिफंड 8 फीसदी घटकर 1.38 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 1.5 लाख करोड़ रुपये था।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘संग्रह में अहम सुधार आया है और अन्य उच्च बारंबारता आर्थिक संकेतक सुधार का संकेत दे रहे हैं। पिछले साल के निगम कर में कमी के आधार प्रभाव का असर तीसरी तिमाही के अग्रिम कर संग्रह पर दिखेगा। हमारा मानना है कि रोजगार में सुधार से स्रोत पर कटौती में इजाफा होगा।’