संपत्ति मुद्रीकरण योजना के तहत सरकार दिल्ली के प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम समेत दो राष्ट्रीय स्टेडियमों और बेंगलूरु और जीरकपुर स्थित दो क्षेत्रीय खेल केंद्रोंं का विकास सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी (पीपीपी) मॉडल पर करेगी। इनका मुद्रीकरण परिचालन, प्रबंधन और विकास समझौते (ओएमडीए) मॉडल पर होगा, जो मॉडल दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों के मामले में अपनाए गए हैं।
हवाईअड्डों में समझौते की अवधि या कंसेसन अवधि 30 साल रखी गई है, जिसमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ संयुक्त उद्यम कंपनी बनाई गई है। इसके बाद आगे इस समझौते को 30 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते कि पहले के 5 साल में कोई चूक न हुई हो। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का मुद्रीकरण इसी तर्ज पर होगा, जहां खेल और गैर खेल दोनोंं सुविधाएं विकसित की जाएंगी। स्टेडियम पर 7,853 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय की योजना बनाई गई है।
टोक्यो ओलंपिक में हाल में बेहतर प्रदर्शन के बाद सरकार ने पीपीपी मॉडल अपनाने की योजना बनाई। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के दस्तावेजों में कहा गया है, ‘खेल के क्षेत्र में वित्तीय सततता की जरूरत है और इसकी जगहोंं का मिला जुला इस्तेमाल होने से खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए पीपीपी फ्रेमवर्क की संभावनाएं तलाशी गई हैं, जिससे कि निजी क्षेत्र की डिजाइन और प्रबंधन की कुशलता का इस्तेमाल किया जा सके, जो इन सुविधाओं को पुनर्जीवित कर सकते हैं और इसका अधिकतम इस्तेमाल कर सकते हैं।’