सलाहकार कंपनी रेडसियर द्वारा अपने प्रमुख कार्यक्रम ग्राउंड जीरा 5.0 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत की उपभोक्ता डिजिटल अर्थव्यवस्था, जिसे कैलेंडर वर्ष 2020 में 85 से 90 अरब डॉलर आंका गया था, वर्ष 2030 तक 800 अरब डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था में कैलेंडर वर्ष 2030 तक डिजिटल माध्यमों के जरिये 60 प्रतिशत हिस्सा यात्रा, 40 प्रतिशत गैर-किराना खुदरा, 30 प्रतिशत शिक्षा, 25 प्रतिशत खाद्य और पेय सेवाओं तथा छह प्रतिशत फार्मा/किराना शामिल हैं।
रेडसियर ने कहा कि पैमाने के हिसाब से ऑनलाइन खुदरा कैलेंडर वर्ष 21 में 55 अरब डॉलर और कैलेंडर वर्ष 30 में 350 अरब डॉलर के वार्षिक सकल मर्केंडाइज मूल्य (जीएमवी) के साथ वर्ष 30 तक तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन खुदरा बाजार बनने वाला है।
ग्राउंड जीरो 5.0 कार्यक्रम में नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत, मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के चेयरमैन टीवी मोहनदास पई और इंफो एज के सह-संस्थापक संजीव बिखचंदानी के साथ-साथ स्टार्टअप उद्योग के अन्य दिग्गजों ने भाग लिया।
रेडसियर के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान उद्यमियों ने भारतीय उपभोक्ताओं की विशिष्ट जरूरतों और मुश्किल वाले क्षेत्रों को हल करने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया है। आज 50 प्रतिशत से अधिक ग्राहक कहते हैं कि वे सुविधा की वजह से ऑनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले करीब 70 प्रतिशत से अधिक लोग कहा करते थे कि इसकी मुख्य वजह छूट मिलना है, लेकिन कोविड की मार के कारण डिजिटल सेवाओं ने बेशक ग्राहकों को बहुत अच्छी सेवाएं प्रदान की हैं। यह बात ग्राहकों की अधिक संतुष्टि और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक प्रमुख माध्यम के रूप में डिजिटल का इस्तमाल करने की ग्राहकों की इच्छा से स्पष्ट हो जाती है। उद्यमियों की अगली लहर नवाचार पैदा करेगी जो भारतीय प्रतिरूप को विश्व स्तर पर सफल बनाएगी।