लोक उद्यम विभाग (डीपीई) को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत लाए जाने के साथ ही केंद्र विभाग को अपनी रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया के संबंध में कुछ अधिकार सौंपने पर विचार कर रहा है।
सरकार नीति आयोग की ओर से रणनीतिक विनिवेश के लिए सार्वनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के नाम का सुझाव दिए जाने के बाद डीपीई को कैबिनेट से उम्मीदवारों के निजीकरण के लिए मंजूरी लेने का जिम्मा सौंप सकती है। इस कदम पर विचार रणनीतिक विनिवेश में हो रही देरी के मद्देनजर किया जा रहा है। फिलहाल विनिवेश के लिए पीएसयू की पहचान से लेकर सौदे कि क्रियान्वयन में करीब 12 से 13 महीनों का वक्त लग रहा है।
इस प्रस्ताव के मुताबिक निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) का निजीकरण के लिए उम्मीदवारों के नाम को विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह (सीजीडी) के पास ले जाने और उसके बाद इसे वैकल्पिक तंत्र और कैबिनेट के पास भेजने के काम को अब डीपीई के सुपुर्द किया जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि इससे दीपम की जिम्मेदारी को बांटने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही मौजूदा प्रक्रिया को तेज करने में सहूलियत होगी।
फिलहाल नीति आयोग विनिवेश के लिए कंपनियों की पहचान करता है जिस पर कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में सीजीडी द्वारा विचार किया जाता है। सीजीडी अपने सुझावों को वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास भेजता है। एएम में वित्त मंत्री, प्रशासनिक सुधारों के मंत्री और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री सहित विभिन्न अन्य मंत्री शामिल होते हैं। एएम की मंजूरी मिल जाने के बाद दीपम प्रस्ताव को संबंधित पीएसयू के रणनीतिक विनिवेश के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से सैद्घांतिक मंजूरी लेने के लिए भेजता है।
मौजूदा निजीकरण या रणनीतिक विनिवेश में निजीकरण के लिए सीपीएसई की पहचान, सीसीईए द्वारा विनिवेशित शेयरधारिता की मंजूरी लेने, मध्यस्थ का चुनाव करने, प्रारंभिक सूचना मसौदा जारी करने, सीसीईए द्वारा बोली की मंजूरी और शेयर खरीद समझौते के क्रियान्वयन द्वारा सौदा को पूरा करने तक करीब 12 चरण आते हैं। सूचीबद्घ कंपनियों के मामले में सेबी के दिशानिर्देशों का अलग से पालन करना होता है।
निजीकरण के लिए चयनित पीएसयू पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद दीपम को पहले की तरह ही बिक्री के प्रबंधन के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा करना होगा। उसे पहले की तरह ही अभिरुचि पत्र और प्रस्ताव के लिए अनुरोध के साथ साथ शेयर खरीद समझौता, बिक्री के लिए पूर्व निर्धारित चर्चा की शर्त आदि काम भी पूरे करने होंगे।
नीति थिंक टैंक नीति आयोग ने भी पहले निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा था जिसमें उसकी ओर से उम्मीदवारों पर सिफारिशें दिए जाने के बाद सीधे सीसीईए की मंजूरी लेने की बात की गई थी। डीपीई को पीएसयू को बंद करने के लिए नए दिशानिर्देश तैयार करने का भी जिम्मा सौंपा गया है जिस पर वह फिलहाल काम कर रहा है।