अफगानिस्तान संकट से भारत में मेवों की कीमतों में तेजी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:38 AM IST

अफगानिस्तान में तालिबान ने तख्तापलट किया और भारत में मेवों के भाव चढ़ गए। इसकी वजह यह है कि अराजकता की वजह से अफगानिस्तान से मेवों की आपूर्ति ठप पड़ गई है। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो त्योहारों पर मेवों की किल्लत पैदा हो सकती है और दाम भी बढ़ सकते हैं।
 

अमेरिका के बादाम उत्पादक इलाकों में भी सूखा पड़ गया है, जिससे वहां उत्पादन कम होने का खटका पहले ही था। इस खटके को भांपकर बादाम महंगा हो भी गया था। मगर अफगानिस्तान संकट ने तो हालत बुरी कर दी है। अफगानिस्तान से भारत में बादाम, पिस्ता, अंजीर, मुनक्का, केसर, किशमिश आदि मेवों का आयात होता है।
मगर तालिबान ने पाकिस्तान सीमा सील कर दी है, जिससे भारत में मेवे नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि वहां से मेवों की आपूर्ति पाकिस्तान के रास्ते ही होती है। आपूर्ति ठप होने का असर फौरन दिखने लगा है क्योंकि पिछले 10-12 दिन में अफगानी बादाम के दाम 650-700 रुपये से बढ़कर 800-900 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। 1,400-1,500 रुपये किलो के भाव बिकने वाला पिस्ता भी 1,600 से 1,800 रुपये के बीच पहुंच गया है। अंजीर 200 रुपये चढ़कर 1,000-1,200 रुपये किलो और केसर 5,000 रुपये महंगा होकर 42,000 रुपये किलो तक पहुंच गया है।

अफगानी मेवों के प्रमुख कारोबारी बलवीर बजाज ने बताया कि पहले अफगानिस्तान से रोजाना 6 से 8 ट्रक मेवे आते थे मगर तालिबान के कब्जे के बाद उनका आना बंद हो गया है। इससे देश में मेवे महंगे हो गए हैं। बजाज कहते हैं कि आपूर्ति बहाल होते ही दाम पहले जैसे हो जाएंगे मगर हालात बिगड़ गए तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
दिल्ली किराना समिति के पूर्व प्रधान व मेवा कारोबारी प्रेम अरोड़ा कहते हैं कि देश में त्योहारों का मौसम शुरू होने के साथ ही मेवों की खरीद भी शुरू हो गई है। ऐसे मे अफगानिस्तान से मेवों की आवक महीने भर भी बंद रही तो त्योहारों पर मेवों की कमी हो सकती है। उस सूरत में त्योहारों पर मेवे और भी महंगे हो सकते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा मेवे भारत भेजने वाले अमेरिका में भी बादाम की उपज इस बार कम है।

मेवा कारोबारी दलजीत सिंह कहते हैं कि भारत में आयात होने वाले बादाम में 80-90 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका के कैलिफोर्निया बादाम की है। इस बार सूखे की वजह से वहां पैदावार कम है, जिससे बादाम महंगा हो रहा है। अमेरिकी कृषि विभाग ने पहले 3.2 अरब पाउंड बादाम उत्पादन का अनुमान लगाया था। लेकिन जुलाई में सूखे के बाद इसे घटाकर 2.8 अरब पाउंड कर दिया गया। अफगान संकट और अमेरिका में कम पैदावार से देश में त्योहारों खास तौर पर मेवे ज्यादा महंगे हो सकते हैं। 
मेवा कारोबारी नवीन मंगला कहते हैं कि अभी कारोबारी पुराने स्टॉक से काम चला रहे हैं। मगर त्योहार में मांग बढ़ेगी और अफगानिस्तान से मेवे नहीं आए तो दूसरे निर्यातक देशों से मांग पूरी कर पाना आसान नहीं होगा। हालांकि कारोबारी सूत्र यह भी कहते हैं कि बाजार में मेवों की इतनी किल्लत नहीं हुई है, जितने दाम बढ़ गए हैं।

निर्यातकों की संस्था फियो के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय भी कहते हैं कि आयात उतना कम नहीं हो सकता कि हमारी घरेलू जरूरतें प्रभावित हो जाएं। मगर अटकलों से कीमतें बढ़ सकती हैं। भारत अमेरिका और दूसरे बाजारों से भी सूखे मेवों का आयात करता है। लेकिन वहां से दूरी अधिक होने के कारण माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाएगा और शुल्क भी अधिक लगेगा क्योंकि उनके साथ अफगानिस्तान जैसा व्यापार समझौता नहीं है।
बहरहाल सहाय मानते हैं कि 15 दिन से एक महीने के भीतर अफगानिस्तान में हालात काबू में आ जाएंगे। सहाय बताते हैं कि अफगानिस्तान से भारत का आयात बहुत कम है, जो वर्ष 2020-21 में कुल आयात का सिर्फ 0.13 फीसदी रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से होने वाले कुल निर्यात में भी इसकी हिस्सेदारी महज 0.28 फीसदी रही।

First Published : August 24, 2021 | 1:53 AM IST