भारत सरकार ने चीन, वियतनाम और ताइवान से आने वाले सौर उपकरणों पर डंपिंग की शिकायत की जांच शुरू कर दी है। यह शिकायत अदाणी इंटरप्राइजेज की सौर विनिर्माण इकाई मुंद्रा सोलर पीवी लिमिटेड और ज्यूपिटर सोलर पावर लिमिटेड ने वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डायरेक्टरेट जनरल आफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) में दर्ज कराई थी।
डीजीटीआर ने 15 मई को जारी गजट अधिसूचना में कहा है कि प्रथम दृष्टया इस तरह के सोलर आयातों से घरेलू उद्योग को नुकसान के साक्ष्य मिले हैं, जिसे देखते हुए मामला दर्ज किया गया है। 2012 के बाद से यह तीसरा मौका है, जब घरेलू सौर विनिर्माताओं ने सरकार से संपर्क साधकर आयातित सौर उपकरणों से राहत की मांग की है, जो ‘बाजार भाव से कम कीमत पर’ भारत के बाजार में पाटा जा रहा है।
यह ऐसे समय में किया जा रहा है जब केंद्र सरकार ने पहले ही सोलर सेल पर 1 अप्रैल 2022 से सोलर सेल और मॉड्यूल पर 40 और 25 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगाने की घोषणा की है। सौर उपकरणों के आयात पर पहले ही 15 प्रतिशत सेफगार्ड ड्यूटी है, जिसकी अवधि इस साल जुलाई में खत्म हो रही है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आयातित सोलर सेल का आयात कर यहां पाटने की वजह से घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है, जो चीन, ताइवान और वियतनाम से आ रहे हैं।
यह मामला स्वीकार करते हुए डीजीटीआर ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं कि उल्लिखित वस्तु का उल्लिखित देशों से आयात का सामान्य मूल्य शुद्ध निर्यात मूल्यों से ज्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि उल्लिखित वस्तुओं का निर्यात उल्लिखित देशों से पाटने के मूल्य पर किया जा रहा है, इसलिए इसकी जांच का मामला बनता है।’
अधिसूचना में डीजीटीआर ने यह भी कहा कि कीमतें बहुत कम रखने और दाम नीचे करने की वजह से आयात का असर घरेलू उद्योग पर पड़ रहा है। अधिसूचना में कहा गया है, ‘घरेलू उद्योग सीपीएसयू योजना के तहत बिक्री में सक्षम है, लेकिन खुले बाजार में नहीं बेच सकता। जांच की अवधि के दौरान आवेदक द्वारा खुले बाजार में बिक्री की मात्रा नगण्य है, जहां उसे आयातित सामान से प्रतिस्पर्धा करनी होती है। सीपीएसयू योजना के तहत बिक्री करने के बाद आवेदकों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।’
सीपीएसयू योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जब सौर बिजली संयंत्र स्थापित करती हैं तो उन्हें घरेलू सोलर सेल मॉड्यूल का इस्तेमाल करना होता है। भारत अपनी कुल जरूरतों का 90 प्रतिशत सोलर सेल और मॉड्यूल का आयात करता है जबकि इसमें से 80 प्रतिशत चीन से आता है। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक भारत की सेल विनिर्माण क्षमता 3,100 मेगावॉट और मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 9,000 मेगावॉट है। भारत की सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 39.08 गीगावॉट है, जिसमें जमीन पर और छत पर स्थापित क्षमता शामिल है। भारत ने अगले साल तक 100 गीगावॉट सौर बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
मौजूदा जांच की अवधि जुलाई 2019 से दिसंबर 2020 रखी गई है। बहरहाल क्षति की अवधि 2016 से 2020 होगी। डीटीआर ने उत्पादकों और निर्यातकों, दूतावासों के माध्यम से संबंधित देशों और आयातकों व भारत में इसके उपभोक्ताओं से 30 दिन के भीतर संबंधित सूचना देने को कहा है।