ईसीबी नीति होगी उदार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:47 PM IST

सरकार जल्द ही बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के समूचे नियमों में कुछ ढील दे  सकती है। दूरसंचार जैसे ज्यादा पूंजी वाले क्षेत्रों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं।
 ईसीबी के रास्ते पैसा जुटाने के  लिए मोबाइल सेवा प्रदाताओं को एक बार छूट  उपलब्ध कराने का ऐसा एक प्रस्ताव भी है जिसे राय जानने के लिए रिजर्व बैंक को भेजा गया है।

वित्त मंत्रालय के  एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। ईसीबी प्रतिबंधों में छूट देने के बारे में फैसला जल्द ही लिया जा सकता है।

यह जानकारी देते हुए एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस बारे में पिछले कुछ समय से नीति की समीक्षा की जा रही है और आने वाले दिनों में इस पर फैसला किया जा सकता है।

ईसीबी नियमों में ढील देने से भारतीय कंपनियों को पैसा जुटाने और नकदी सहेजने में मदद मिलेगी। एशिया की तीसरी बडी अर्थव्यवस्था की कई कंपनियों ने अपने विस्तार की बड़ी-बड़ी योजनाएं तैयार कर रखी हैं।

इसके अलावा वित्त्तीय क्षेत्र के  कुछ और सुधार भी अपने तय समय पर ही होंगे। इन सुधारों पर पिछले कुछ अरसे से काम चल रहा है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को पक्का यकीन है कि वित्त्तीय क्षेत्र में आई मंदी का असर वास्तव में भारत के  लिए एक अच्छा मौका साबित हो सकता है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘एक तरह से जो कुछ भी घटनाएं हो रही हैं, वे भारत की सतर्क नीति झ्रौर नियामक नजरिए की पुष्टि करती हैं। ऐसे में भारत के  लिए और मजबूत होकर उभरने की
गुंजाइश है।’

पिछले दो दिनों से वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग इस बात को लेकर माथापच्ची कर रहा है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की वित्तीय संस्थाओं और बैंकों ने कितना पैसा लगा रखा है।

यह कवायद दुनिया के बाजारों, खासतौर पर अमेरिका में हाल में हुई भारी वित्त्तीय उथल-पुथल के मद्देनजर की जा रही है। इस वित्तीय तबाही के फलस्वरूप अमेरिका के पांच बड़े निवेश बैंकों में से एक लीमन ब्रदर्स दिवालिया हो गया है और बाकी वित्तीय संस्थाओं और बैंकों को भी इस मंदी की आंच में झुलसना पड रहा है।

दुनिया की मौजूदा वित्तीय तबाही की आंच भारत के कितने बैंकों और संस्थाओं तक आ रही है, इस बारे में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने अधिकारियों के साथ आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में जानकारी दी।

उन्होंने विश्व में हो रहे घटनाक्रम और भारत पर इसके  असर के बारे में भी बताया। यह बैठक मंत्रालय की पहल पर बुलाई गई थी झ्रौर इसका मकसद मंत्रियों के सामने घटनाक्रम को सही संदर्भ में पेश करना था।

बैठक को लेकर इतनी गोपनीयता बरती गई कि बैठक का एजेंडा भी एकदम आखिरी मौके  पर बताया गया। वित्त मंत्रालय के  एक अधिकारी ने कहा, ‘जहां तक भारतीय प्रतिभूति बाजार पर सीधे असर का सवाल है, तो मैं पक्के तौर पर आपको बता सकता हूं कि ऐसा कुछ नहीं है।

तरलता पर कुछ असर जरूर है, मगर इससे निपटा जा सकता है।’ गुरुवार को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि अगर नकदी का संकट हुआ तो सरकार तरलता उपलब्ध कराने के लिए और कदम उठाने को तैयार है।

प्रस्तावित उपाय

पूंजीगत सामान के आयात के लिए कंपनियों को एफसीईबी के  इस्तेमाल की इजाजत देना

विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारतीय डिपोजिटरी रिसीट में निवेश की मंजूरी

क्रेडिट डेरिवेटिव के  लिए सुरक्षा उपायों के साथ पारदर्शी बाजार


 

First Published : September 20, 2008 | 4:40 PM IST