वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि सात हफ्तों तक देशव्यापी लॉकडाउन के बाद देश में आर्थिक गतिविधियों के शुरू होने से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। मंत्रालय ने इसके लिए खाद्यान्न की खरीद, बिजली और उर्वरक की खपत, मालवाहक रेल के ट्रैफिक और दूसरे संकेतकों का उदाहरण दिया है।
यह संकेत तब भी मिल रहे हैं जब अप्रैल-जून तिमाही और वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में संकुचन आने के बात कही जा रही है। अर्थव्यवस्था के संबंध में जाहिर किए गए कुछ अनुमानों में साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद में 6 फीसदी तक की गिरावट आने की बात कही गई है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है और मॉनसून सामान्य रहने के पूर्वानुमान से भारतीय अर्थव्यवस्था को वापसी करने में मदद मिलनी चाहिए। भले ही इस क्षेत्र का जीडीपी में योगदान बहुत अधिक नहीं है, फिर भी इसमें वृद्धि होने से इस पर आश्रित लोगों पर बहुत ही सकारात्मक असर होता है।’
इसमें कहा गया है कि सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से गेहूं की खरीद इस वर्ष सर्वकालिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। 16 जून तक 3.82 करोड़ टन खरीद हुई है जो इसके पहले के 2012-13 के दौरान बने रिकॉर्ड से अधिक है।
बयान में कहा गया है, ‘4,20,000 किसानों को सरकारी खरीद से लाभ मिला है और गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के जरिये उन्हें कुल मिलाकर लगभग 73,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’ मंत्रालय ने यह भी कहा कि 29 जून तक किसानों ने 1.31 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई की है जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 39 फीसदी अधिक है। उसने कहा, ‘मई 2020 में उर्वरक की बिक्री में सालाना आधार पर 98 फीसदी की उछाल आई है, जिससे कृषि क्षेत्र में मजबूती के संकेत मिलते हैं।’
बयान में कहा गया है, ‘मई और जून महीने में बिजली और ईंधन खपत, राज्य के भीतर और राज्य के बाहर माल की आवाजाही, खुदरा वित्तीय लेनदेन में तेजी आने से आर्थिक सुधार के शुरुआती संकेत भी मिलने लगे हैं।’ वक्तव्य में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि इस वर्ष जून में बिजली खपत पिछले वर्ष के इस महीने के हरेक सप्ताह की तुलना में पहले हफ्ते में 19.8 फीसदी कम थी, दूसरे हफ्ते में 11.2 फीसदी कम रही और तीसरे हफ्ते में 6.2 फीसदी कम रही। इससे बिजली खपत में हर सप्ताह संकुचन में कमी आने के संकेत मिलते हैं।