वित्त वर्ष 21 में जीडीपी का 8 प्रतिशत राजकोषीय घाटा संभव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:57 AM IST

वैश्विक महामारी कोविड-19 से प्रभावित हो चुकी अर्थव्यवस्था और वित्तीय दबाव से जूझ रही सरकार को एक और परीक्षण से गुजरना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में 1.67 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त हासिल करने के लिए संसद की मंजूरी लेनी है। इस धन का इस्तेमाल सरकारी बैंकों के पुनर्पूजीकरण, कोविड-19 से लड़ाई और हाशिये पर खड़े समाज के लिए घोषित तमाम योजनाओं के वित्तपोषण में होगा।
इक्रा में वाइस प्रेसिडेंट और मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘व्यय प्रबंधन के कदमों से होने वाली बचत से चालू वित्त वर्ष 21 की वित्तीय स्थिति का निर्धारण होना है, जिसे करीब 6 लाख करोड़ रुपये राजस्व का झटका लगा है। हमारा अनुमान है कि अब सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 21 में बढ़कर कम से कम 14 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का जीडीपी का 7.4 प्रतिशत हो जाएगा।’
यह ऐसे समय में हो रहा है, जब लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था सामान्य हो रही है। ज्यादातर शोध एवं रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 21 के लिए जीडीपी में वृद्धि के अनुमानों में कटौती कर दी है। सोमवार को एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग ने कहा कि उसे वित्त वर्ष 21 में भारत की अर्थव्यवस्था में 9 प्रतिशत संकुचन का अनुमान है, जो उसके पहले के 5 प्रतिशत संकुचन के अनुमान से बहुत ज्यादा है।
पिछले सप्ताह फिच और गोल्डमैन सैक्स ने भी वित्त वर्ष 21 में जीडीपी वृद्धि के अनुमान में कटौती की थी। फिच ने वित्त वर्ष 21 में 10.5 प्रतिशत संकुचन के अनुमान लगाए हैं, जबकि पहले इस अवधि में 5 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया था। गोल्डमैन सैक्स ने वित्त वर्ष 21 में 14.8 प्रतिशत की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है, जबकि पहले 11.8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया था वहीं कैलेंडर वर्ष 2020 में 11.1 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है, जबकि पहले 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया था।
केयर रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने कहा, ‘सरकार की उधारी में कुल मिलाकर बढ़ोतरी होगी, लेकिन व्यवस्था में पर्याप्त नकदी होगी। 1.67 लाख करोड़ रुपये उधारी अगर ली जाती है तो इससे वित्त वर्ष 21 में राजकोषीय घाटे में जीडीपी के करीब 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। बहरहाल इसमें से कुछ पैसे नरेगा और गरीब कल्याण योजना में खर्च होंगे, जो पहले के पैकेज में शामिल है। इस तरह से बढ़ोतरी पहले से ज्यादा नहीं होगी क्योंकि इसकी गणना हुई है। लेकिन राज्यों के घाटे के वित्तपोषण के लिए 47,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त है और यह पैकेज में शामिल नहीं है। इससे अतिरिक्त उधारी बढ़ेगी। हम उममीद कर सकते हैं कि इस साल सरकार का राजकोषीय घाटा 8 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहेगा।’
ज्यादातर विश्लेषक इस बात से राहत महसूस कर रहे हैं कि भारत में आर्थिक गतिविधियां बहाल हो रही हैं।

First Published : September 15, 2020 | 12:17 AM IST