भविष्य के झटके पर प्रतिक्रिया के लिए राजकोषीय जगह कम : फिच

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:23 PM IST

फिच रेटिंग ने आज चेतावनी दी है कि भविष्य में वृद्धि को लगने वाले किसी संभावित झटके को संभालने के हिसाब से भारत सरकार के पास राजकोषीय संभावनाएं कम हैं। रेटिंग एजेंसी ने भारत के न्यूनतम निवेश ग्रेड क्रेडिट रेटिंग व ऋणात्मक परिदृश्य को देखते हुए यह कहा है।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत का सार्वजनिक ऋण और जीडीपी का अनुपात वित्त वर्ष 21 में करीब 87 प्रतिशत है, जो बीबीबी रेटिंग सॉवरिन के लिए 60 प्रतिशत से ऊपर है। हमने जून 2020 में भारत की रेटिंग को स्थिर से ऋणात्मक कर दिया था, जो महामारी और सार्वजनिक वित्त की गणित के असर को देखते हुए किया गया था। मौजूदा रेटिंग के स्तर पर सरकार के पास राजकोषीय संभावनाएं कम हैं, जिससे वह वृद्धि को लगने वाले किसी संभावित झटके पर प्रतिक्रिया दे सके।’
वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 22 के लिए राजकोषीय घाटे का अपना अनुमान बदलकर 10 आधार अंक बढ़ाते हुए जीडीपी का 6.9 प्रतिशत कर दिया है और वित्त वर्ष 23 का राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। बहरहाल वित्त वर्ष 23 में केंद्र का कर्ज जीडीपी अनुपात बढ़कर 60.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 22 में 59.9 प्रतिशत है।
फिच ने कहा, ‘नए बजट में मध्यम अवधि वाली योजनाओं को लेकर स्पष्टता नहीं होने और राजकोषीय घाटा बढऩे से सरकारी कर्ज एवं जीडीपी अनुपात में गिरावट आने संबंधी फिच रेटिंग्स के पूर्वानुमान का जोखिम बढ़ गया है।’  फिच ने कहा कि एक फरवरी को पेश किए गए बजट 2022-23 में सरकार राजकोषीय मजबूती के बजाय वृद्धि को समर्थन देती हुई नजर आई। उसने कहा, ‘बजट में घाटे संबंधी जो लक्ष्य रखे गए हैं वे भारत की रेटिंग की पुष्टि के समय की हमारी अपेक्षा से थोड़े अधिक हैं।’
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था की वित्तीय ताकत मध्यावधि के हिसाब से सुधरने की संभावना कम है और यह उसके प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में ऋण को लेकर प्रमुख चुनौती बनी हुई है, भले ही वित्त वर्ष 23 के बजट में पूंजीगत व्यय को समर्थन दिया गया है, जिससे निकट अवधि के हिसाब से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

First Published : February 7, 2022 | 11:11 PM IST