भारतीय उद्योग जगत के लिए फॉरवर्ड कवर के मौके

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:51 AM IST

मुख्य भारतीय कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) फिर से नई योजनाएं बनाने में जुट गए हैं, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती उन्हें विदेशी मुद्रा जोखिम से बचने का अवसर प्रदान कर रही है। मौद्रिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, बड़ी तादाद में भारतीय कंपनियां (खासकर मिड-लेवल) उचित बचाव नहीं कर पा रही हैं जिस वजह से उन्हें अन्य मुद्राओं के खिलाफ रुपये में कमजोरी आने की स्थिति में वित्तीय समस्याएं पैदा होने का भय सता रहा है।
बजाज गु्रप के पूर्व वित्त निदेशक प्रबाल बनर्जी ने कहा, ‘कंपनियां कम लागत कवर के इस अवसर का अच्छी तरह से लाभ उठाएंगी और स्वयं को सुरक्षित बनाएंगी।’ हालांकि उनका मानना है कि यह अनुकूल बदलाव ज्यादा समय तक बना नहीं रहेगा।

एक बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के सीएफओ ने कहा कि रुपये में मजबूती आने से कंपनी फॉरवर्ड कवर ले रही थी, क्योंकि उसे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में रुपये में कमजोरी आएगी। उन्होंने कहा, ‘मजबूत रुपया एक अस्थायी बदलाव है और हमें उम्मीद है कि रुपया कुछ महीनों में डॉलर के मुकाबले 80 पर पहुंच जाएगा। इसलिए हम फॉर्वर्ड कवर ले रहे हैं।’
मुद्रा कंसल्टेंट अपने आयातक ग्राहकों को हेजिंग करने की सलाह दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में लक्ष्य अल्पावधि के लिए हेजिंग का रहा, लेकिन कुछ ग्राहक मध्यावधि के लिए भी ऐसा कर रहे हैं। हेजिंग की मांग को ध्यान में रखते हुए डॉलर-रुपया प्रीमियम चढऩा शुरू हो गया है।

ट्रेजरी कंसल्टेंट फर्म क्वांटआर्ट मार्केट के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी समीर लोढा ने कहा, ‘वैश्विक इक्विटी में लगातार तीसरे दिन कमजोरी दर्ज की गई और बाजार अमेरिकी मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित हो रहा है। प्रोत्साहन में नरमी की आशंका है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 75 पर है जो मौजूदा स्थिति में 72.5 के मुकाबले काफी ऊपर है। इसलिए हम आयातकों से हेजिंग करने और निर्यातकों से हेजिंग का तेजी से इस्तेमाल करने को कह रहे हैं।’
रुपया अपने प्रतिस्पर्धियों में डॉलर के मुकाबले कुछ संभला है। देश इस साल फरवरी तक 27 अरब डॉलर के चालू खाता अधिशेष से गुजर रहा था। वित्त वर्ष 2021 में फरवरी तक, भारत का शुद्घ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्रवाह 41 अरब डॉलर पर, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) 36 अरब डॉलर पर था। 104 अरब डॉलर के मजबूत विदेशी मुद्रा प्रवाह के बावजूद सामान्य संदर्भ में रुपये के खिलाफ डॉलर में महज 2 प्रतिशत तक की कमहोरी आई और यह मार्च 2020 के 75.30 के मुकाबले फरवरी 2021 में 73.90 पर पहुंचा गया। यह तब है जब वैश्विक डॉलर सूचकांक 99 से 8.2 प्रतिशत घटकर 90.9 पर रह गया है। यह सूचकांक अन्य प्रमुख मुद्राओं के खिलाफ डॉलर की मजबूती का मापक है।

इसलिए रुपया घट सकता है, खासकर, इसलिए क्योंकि ऑफशोर बाजार में बड़े पैमाने पर कारोबार को आगे बढ़ाया गया है।

एसबीआई समूह के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘डॉलर-रुपये में मुख्य ओपन पोजीशन के साथ, बड़ी कंपनियों और ज्यादा वायदा प्रीमियम वाले गैर-डिलिवरी योग्य वायदा बाजार में यदि किसी घटनाक्रम की वजह से पोजीशन अनवाउंड होती हैं तो रुपये पर गिरावट का दबाव बढ़ सकता है, जिससे मुद्रास्फीति पर विपरीत प्रभाव देखा जा सकता है।’
आईएफए ग्लोबल के प्रबंध निदेशक अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘आयातक अगले दो महीनों के लिए अपनी पोजीशन कवर करने पर जोर दे रहे हैं।’ रुपया बुधवार को 73.44 पर कारोबार कर रहा था, जो 73.34 के पूर्ववर्ती बंद के मुकाबले कम है। इससे गिरावट के रुझान का संकेत मिलता है। 

गोयनका ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पूंजी प्रवाह को खपा सकते हैं, यानी हाजिर खरीदारी कर सकते हैं और वायदा खरीदारी आगे बढ़ा सकते हैं। एक वर्षीय वायदा प्रतिफल बढ़कर 5.30 प्रतिशत हो गया है।

First Published : May 14, 2021 | 12:09 AM IST