चीन से एफपीआई पर अंकुश!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 9:16 AM IST

आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए) और बाजार नियामक  भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) पड़ोसी देशों, खासकर चीन, से आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) की सीमा तय करने पर विचार कर रहा है। फिलहाल कोई एफपीआई निवेशक किसी सूचीबद्ध शेयर में 10 प्रतिशत तक निवेश कर सकता है, लेकिन अब यह सीमा घटाकर 5 प्रतिशत की जा सकती है। सूत्रों ने कहा कि सीमा तय करने पर डीईए और सेबी ने चर्चा की है और अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से निर्देश मिलने का इंतजार है।
इस पूरी कवायद की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘बाजार नियामक और वित्त मंत्रालय चीन और अन्य पड़ोसी देशों से एफपीआई निवेश से जुड़े विभिन्न नए प्रावधान तैयार करने में जुटे हुए हैं। इनमें निवेश की सीमा कम करना भी शामिल है।’ जिन अन्य पहलुओं पर विचार हो रहा है, उनमें निवेशकों से जुड़ी जानकारी (केवाईसी) से जुड़ी कड़ी शर्तें और अनुमति के लिए एक पृथक मानक परिचालन पक्रिया (एसओपी), पड़ोसी देशों से नए निवेश आदि शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि चीन के साथ मौजूदा सीमा विवाद को देखते हुए इस संबंध में प्रस्ताव पीएमओ भेजा जा चुका है। एक अधिकारी ने कहा कि नियामक और संबंधित मंत्रालय अब इस मुद्दे पर पीएमओ के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एफपीआई निवेश की सीमा कम करने के बाद इसे क्रियान्वित करने में कुछ चुनौतियां पेश आ सकती हैं।
इस बारे में डेलॉयट इंडिया में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा,’अगर सरकार पड़ोसी देशों से एफपीआई निवेश की सीमा कम करने का निर्णय लेती है तो यह देखने वाली बात होगी कि एफपीआई पर पाबंदी पड़ोसी देशों में एफपीआई ढांचे पर लगाई जाती है या इन देशों में बेनिफिशयल ऑनर इसकी जद में आते हैं या फिर दोनों पर पाबंदी लगाई जाती है। हमें यह भी देखना होगा कि सरकार की अनुमति के बिना ऐसे निवेशकों के नए निवेश करने पर पूरी पाबंदी होगी या फिर उन्हें10 प्रतिशत सीमा से नीचे निवेश करने की अनुमति दी जाएगी।’ इस समय एफपीआई निवेश भारतीय कंपनी की चुकता पूंजी (पेड अप कैपिटल) के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। एफपीआई का समूह किसी भारतीय कंपनी में उसकी चुकता पूंजी के 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नहीं खरीद सकता है। सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार एफपीआई को गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश की अनुमति नहीं है और गैर-सूचीबद्ध इकाइयों में निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) समझा जाएगा। हाल में केंद्र ने सात पड़ोसी देशों, खासकर चीन को ध्यान में रखते हुए फडीआई नीति की शर्तें कड़ी कर दी हैं।
इस समय भारत में  एफपीआई निवेश के लिहाज से चीन शीर्ष 10 देशों की सूची में शुमार नहीं है। हालांकि कोविड-19 के बाद देश में लॉकडाउन लागू होने से मार्च तिमाही में चीन से एफपीआई निवेश खासा बढ़ गया था, जिससे सरकार सतर्क हो गई थी। मार्च तिमाही में चीन से आने वाले निवेश में करीब 4 गुना से अधिक तेजी आई थी।

First Published : June 22, 2020 | 10:50 PM IST