मुफ्त खाद्यान्न से गरीबी रेखा से नीचे गए लोगों की पूरी भरपाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:08 PM IST

बीएस बातचीत

आईएमएफ ने 2020-21 तक भारत में गरीबी का अनुमान लगाया है, जो नीति निर्माताओं व शोधकर्ताओं के लिए अहम है। 2011-12 के बाद गरीबी को लेकर कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। इसके लेखकों में से एक और पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने इंदिवजल धस्माना से बातचीत में कहा कि भारत में 3.2 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन को गरीबी रेखा माना जा सकता है। पेश हैं संपादित अंश…
वर्किंग पेपर में निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीएफ) और राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) दोनों को ही गरीबी का अनुमान लगाने में इस्तेमाल किया गया है। इसमें से ज्यादा जरूरी कौन है?
हमारा सभी अनुमान 2011-12 के उपभोक्ता व्यय सर्वे के यूनिट स्तर के आंकड़ों के आधार पर है। 2011-12 के आंकड़ों में दो अलग विधि से विभिन्न वृद्ध्रि दरों को आधार बनाया गया है। पहला, पीएफसीई में वास्तविक वृद्धि, दूसरा वास्तविक एसजीडीपी वृद्धि दर। मेरे विचार से गरीबी का अनुमान दूसरी विधि से संचालित है और पहले तरीके से ज्यादा सटीक है।

इसके पहले प्यू रिसर्च सेंटर ने दिखाया था कि कोविड के कारण 7.5 करोड़ लोग गरीबी में चले गए। आपके अध्ययन में इसमें खामी पाई गई। इसकी मुख्य वजह क्या है?
प्यू ने ओपिनियन सर्वे किया। इसका इस्तेमाल विश्व बैंक या आईएमएफ या किसी अन्य बहुपक्षीय विकास बैंक द्वारा गरीबी के अनुमान में नहीं किया जाता है। हमारे पेपर ने दिखाया है कि 2020-21 में गरीबी बढ़ी है 1.5 से 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे गए हैं। बहरहाल पीडीएस के माध्यम से दिए गए मुफ्त खाद्यान्न से इसकी पूरी भरपाई हो गई।

अध्ययन में यह क्यों कहा गया है कि 3.2 डॉलर पीपीपी गरीबी रेखा होनी चाहिए?
विश्व बैंक ने कुछ गरीबी रेखाएं परिभाषित की हैं। सबसे कम 1.9 डॉलर प्रति दिन है, जिसे पूरी तरह गरीबी कहा गया है, जो कम आय वाले देशों के लिए उचित है। वहीं अगली सीमा 3.2 डॉलर प्रतिदिन है, जो मध्य आय वाले देशों के लिए ज्यादा उचित है। भारत ने कम आय की गरीबी को खत्म कर दिया है और यह निम्न मध्य आय वर्ग के लोगों का देश बन गया है, ऐसे में 3.2 डॉलर प्रतिदिन को गरीबी रेखा के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया जाना चाहिए।

क्या 2011-12 की तरह रुपये के हिसाब से गरीबी रेखा तय हो सकती है?
जैसा कि पेपर से पता चलता है, 2011-12 में तेंडुलकर की गरीबी रेखा के अनुमान में करीब 1.9 डॉलर को गरीबी रेखा माना गया था, जिसे विश्व बैंक ने परिभाषित किया है। हमने 1.9 डॉलर और 3.2 डॉलर दोनों का इस्तेमाल किया है, क्योंकि यह देश भर में गरीबी की तुलना के हिसाब से बेहतर होगा।

First Published : April 7, 2022 | 12:14 AM IST