कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए की गई देशबंदी के असर के कारण वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 35 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, लेकिन सांख्यिकी कार्यालय 15-16 प्रतिशत गिरावट दिखा सकता है। इसकी वजह यह है कि अनौपचारिक क्षेत्र में गिरावट के सही आंकड़े मौजूद नहीं हैं और इसके लिए छद्म आंकड़ों का इस्तेमाल होगा। भारत की अर्थव्यवस्था में करीब चार दशक पहले संकुचन आया था।
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने अनुनान लगाा है कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में संकुचन कम से कम 25 प्रतिशत रहेगा और यह 35 प्रतिशत तक जा सकता है। बहरहाल उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) इससे बहुत कम 15 से 16 प्रतिशत संकुचन के आंकड़े दे सकता है क्योंकि कॉर्पोरेट आंकड़ों का इस्तेमाल अनौपचारिक क्षेत्र के छद्म आंकड़ों के रूप में इस्तेमाल होगा।
इक्रा में अर्थशास्त्री अदिति नायर ने वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 25 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उन्होंने भी कहा, ‘औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र में प्रदर्शन में अंतर संभवत: पूरी तरह से जीडीपी के आंकड़ों में जगह नहीं पाएगा, क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र के आंकड़ों का अभाव होगा।’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण लॉकडाउन और विभिन्न राज्यों द्वारा धीरे धीरे अनलॉक की वजह से वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में विनिर्माण की मात्रा में पिछले साल की तुलना में 40.7 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है।
नायर ने कहा, ‘इसके साथ ही कच्चे माल की कीमत कम होने, कर्मचारियों की लागत घटने और लागत में कटौती के अन्य कदमोंं की वजह से विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों का मुनाफा दुरुस्त हुआ है। यह हमारे पहले की गिरावट के अनुमान से कम होगा।’ उन्होंने कहा कि बहरहाल लागत में कटौती के कदमों से एमएसएमई सहित अन्य उत्पादकों का मुनाफा और राजस्व प्रभावित होगा, जिनमें से कुछ आंकड़े उपलब्ध हो सकते हैं और कुछ नहीं उपलब्ध हो सकते हैं, जो वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के सीएसओ के शुरुआती आंकड़ों में होंगे।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने अनुमान लगाया है कि जीडीपी में गिरावट चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 16.5 प्रतिशत रह सकती है, जबकि पहले 30 प्रतिशत से ज्यादा संकुचन का अनुमान लगाया गया था। उन्होंने कहा कि जहां तक सूचीबद्ध कंपनियों के परिणाम का सवाल है, वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में कॉर्पोरेट सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में कमी राजस्व में कमी की तुलना में बेहतर रह सकती है।
इंडिया रेटिंग ने इस अवधि के दौरान संकुचन का अनुमान बढ़ाकर 17.03 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 13.6 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया था। इंडिया रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘मार्च के आखिर से मई 2020 के बीच कोविड-19 के कारण आए व्यवधानों के कारण उत्पादन, आपूर्ति शृंखला और उड्डयन, पर्यटन, होटल और आतिथ्य क्षेत्र की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। ऐसे में वित्त वर्ष 80 के बाद पहली बार जीडीपी वृद्धि में संकुचन की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि गैर कृषि आर्थिक गतिविधियां धीरे धीरे पटरी पर आ रही हैं, लेकिन अभी भी यह कोविड-19 के पहले के स्तर से बहुत नीचे हैं।
केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी में 20 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा संकुचन रह सकता है।
कोरोनावायरस के पहले ही आर्थिक वृद्धि में कमी शुरू हो चुकी थी और वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में गिरकर 3.1 प्रतिशत रह गई थी। ऐसा 17 साल में पहली बार हुआ था। इसकी वजह से 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर 4.2 प्रतिशत पर आ गई थी। यह सरकार के 5 प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान से कम था।