विभिन्न एजेंसियों का जीडीपी पूर्वानुमान यथार्थवादी : सीईए

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:17 PM IST

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि देश के वित्त वर्ष 23 की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा दिया गया दायरा – भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 7.2 प्रतिशत से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के 8.2 प्रतिशत तक – यथार्थवादी दायरा है।
सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक प्रोग्रेस (सीएसईपी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नागेश्वन ने यह भी कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की वजह से तेल की अस्थिर कीमतों ने यह अनुमान लगाना मुश्किल कर दिया था कि साल के अंत में केंद्र की सब्सिडी का बोझ क्या होगा।
नागेश्वरन ने कहा कि आरबीआई का 7.2 और आईएमएफ का8.2 के बीच का यह दायरा यथार्थवादी है और इस समय यह मुनासिब भविष्यवाणी की तरह लगता है।
पिछले महीने आईएफएफ ने अप्रैल की अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की रिपोर्ट में भारत के वित्त वर्ष 23 के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के संबंध में अपना पूर्वानुमान यह कहते हुए नौ प्रतिशत से घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया था कि निजी खपत और निवेश पर जिंसों की अधिक कीमतों का बोझ पड़ेगा। इसके बावजूद यह आरबीआई समेत अन्य एजेंसियों की तुलना में अब भी अधिक आशावान दृष्टिकोण है, जिसने अपना पूर्वानुमान 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है।
इससे ठीक पहले बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में नागेश्वरन ने चेताया था कि मुद्रास्फीति निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी और वह इस वर्ष के लिए आरबीआई के 7.2 प्रतिशत के अनुमान को ‘फ्लोर’ के रूप में मानते हैं। अलबत्ता सीईए ने कहा कि अधिक व्यय के बावजूद बजट में निर्मित बफर को नियंत्रित रखना चाहिए और भारत की का ऋण प्रोफाइल टिकाऊ है।
जैसा कि पहले बताया गया है कि यूरोप में युद्ध की वजह से जिंसों और तेल के लगातार अधिक दामों के कारण इस वर्ष के लिए केंद्र का उर्वरक सब्सिडी व्यय 2.10 लाख करोड़ रुपये से लेकर 2.30 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। यह बड़े मार्जिन के साथ किसी साल में उर्वरक सब्सिडी पर अब तक का सबसे अधिक व्यय होगा और वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान 1.05 लाख करोड़ रुपये से इसकी तुलना होगी।
इसके अलावा पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार सितंबर तक करने के मोदी सरकार के फैसले से वित्त वर्ष 23 के लिए खाद्य सब्सिडी व्यय 2.07 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से बढ़कर 2.87 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। यह सब जबकि अधिकारी कहते हैं कि केंद्र की 7.5 ट्रिलियन रुपये की पूंजीगत व्यय योजना से कोई समझौता नहीं होगा।
नागेश्वरन ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक वास्तविकताएं नीति निर्माताओं के काम को काफी मुश्किल बना देती हैं। उन्होंने कहा कि इस हमेशा बदलते परिदृश्य में नीति निर्माताओं को अकुशल, अपूर्ण और अपर्याप्त पूर्वानुमानों के साथ काम करना होगा।

First Published : May 5, 2022 | 1:04 AM IST