वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए सुपर एजेंसी बना सकती है सरकार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:17 AM IST

सरकार जल्द ही वित्तीय क्षेत्र की धोखाधड़ी की जांच के लिए जल्द ही एक एजेंसी का गठन कर सकती है। इस प्रस्ताव पर वित्त और गृह मंत्रालयों के बीच चर्चा हो रही है।
सरकार इस कदम को देश में कारोबार सुगमता की सुविधा के कदम के रूप में देख रही है। अगर सिर्फ एक एजेंसी के साथ मामला हो तो मामले में अपना पक्ष रखने में कारोबारियों को ज्यादा सुविधा होगी। इस समय उन्हें विभिन्न एजेंसियों के पास जाना होता है। यह प्रस्ताव भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से बजट पूर्व मांग के हिस्से में आया है।
सरकार के अधिकारियों ने कहा कि कारोबार के दिग्गजों के साथ इस मसले पर कई मंचों पर चर्चा हुई थी। सीआईआई के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘वित्तीय क्षेत्र की धोखाधड़ी की जांच के लिए संबंधित विशेषज्ञता पाले लोगों की एक विशेषीकृत एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए। वैकल्पिक रूप से मौजूदा कई एजेंसियों के बीच तालमेल बेहतर करने और उनकी विशेषज्ञा बेहतर करने का काम किया जा सकता है।’
वित्तीय एजेंसियों को एकीकृत करने पर काम ऐसे समय में हो रहा है, जब वित्त और राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। गृह सचिव अजय भल्ला भी अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
ऐसे में प्रस्ताव की रूपरेखा पर संभवत: नए सचिवों के कार्यकाल में काम होगा, अगर इन दोनों अधिकारियों को कार्य विस्तार नहीं मिल जाता है। भल्ला पहले ही कार्य विस्तार पर हैं, जिनका दो साल का कार्यकाल अक्टूबर 2020 में पूरा हो चुका है।
यह भी दिलचस्प है कि गृह और वित्त मंत्रालयों के बीच चर्चा हो रही है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कार्मिक विभाग के तहत आता है और वह केंद्रीय सतर्कता आयोग को रिपोर्ट करता है, जो भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत गठित स्वायत्त निकाय है। बहरहाल सीबीआई कर्मचारियों के लिए गृह मंत्रालय पर निर्भर है, जिसकी ज्यादातर जांच भारतीय पुसिल सेवा से आती है।
पिछले दो दशक में इस तरह की साझा और हर जगह पहुंच वाली एजेंसी बनाने की कवायद की गई है। इसमें सबसे नई गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसेफआईओ) है। लेकिन जबसे यह एजेंसी काम कर रही है, सिर्फ कंपनी अधिनियम पर काम कर रही है, क्योंकि इसके पास ढेरों मामले हैं। वहीं अन्य जांच एजेंसियां समानांतर कवायद कर रही है। सत्यम मामले के बाद गठित नरेश चंद्र समिति ने एसएफआईओ को सुपर एजेंसी के रूप में देखा था, जिससे धोखाधड़ी पर लगाम लगाया जा सके।
इंटरनैशनल फाइनैंशियल ऐक् शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भी अक्सर भारत को प्रोत्साहित किया है कि वित्तीय धोखाधड़ी के लिए हर क्षेत्र में पहुंच वाले निकाय का गठन किया जाना चाहिए।

First Published : January 25, 2021 | 12:04 AM IST