भारतीय बैंकों की कॉर्पोरेट लोन बुक में वृद्घि जून तिमाही तक धीमी रही है लेकिन वे अगली कुछ तिमाहियों में इसमें सुधार आने की उम्मीद कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि सरकार कंपनियों को नए ऑर्डर देने जा रही है।
बैंकरों का कहना है कि भारत कई वर्षों के पूंजीगत व्यय चक्र के शिखर पर है। यह चक्र कुछ उसी तरह का है जैसा कि वित्त वर्ष 2003 से वित्त वर्ष 2012 के बीच देखा गया था। सरकार अगले दो वर्षों में 356 अरब डॉलर का ऑर्डर देने जा रही है। बैंकों ने कहा कि भारतीय कंपनियां विगत दो वर्षों में अपने ऋण खातों का बोझ कम करने और वित्तीय लागतों में जबरदस्त कमी लाने के बाद अब विस्तार करने पर विचार कर रही हैं। आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सैम्यूल जोसेफ ने ‘निवेश चक्र को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से एक आकर्षण मिलने की उम्मीद है। कई सारी परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं और देश तथा दुनिया भर में कारोबार और आर्थिक माहौल पर स्पष्टïता का इंतजार कर रही हैं क्योंकि इनमें बड़ी मात्रा में निर्यात होना है।’
बोफा ग्लोबल रिसर्च के विश्लेषकों को उम्मीद है कि निजी क्षेत्र औरपीएसयू पूंजीगत व्यय चक्र की वृद्घि को तेज करेंगे क्योंकि उन्हें विशेष तौर पर सरकार से अगले दो वर्षों में 356 अरब डॉलर के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा केंद्र सरकार एकाधिकार वाले क्षेत्रों को खोल रही है इससे भी वित्त वर्ष 2024 से निजी पूंजीगत व्यय संचालित होगा।इसने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘सरकार गैस/बिजली वितरण, रेलवे, खनन के भीतर एकाधिकारों को खोल रही है जिसमें मुख्य तौर पर निजी पूंजीगत व्यय आएगा। बहुत सारे पीएसयू नकदी के स्तर पर समृद्घ हैं लेकिन वे अपने कारोबारी मॉडलों को नए वृद्घि क्षेत्रों की ओर ले जा रही हैं। लिहाजा ऑर्डरों में पीएसयू की हिस्सेदारी में गिरावट (वित्त वर्ष 2022-23 में 13 फीसदी रही) अल्पकालिक है।’
जून तिमाही के परिणामों के तुरंत बाद ऐक्सिस बैंक के कार्यकारियों ने कहा कि जून तिमाही के दौरान कार्यशील पूंजी का उपयोग लगातार कोविड से पूर्व के स्तर से नीचे बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जैसे ही अर्थव्यवस्था खुलनी शुरू हो जाएगी पूंजीगत व्यय की संख्या में इजाफा होगा। अधिकारियों ने कहा, ‘कॉर्पोरेट ऋण उतारने के मामले में अब हम निचले स्तर को देख रहे हैं। पूंजीगत व्यय को लेकर बैंक की ओर से की जा रही बातचीत की संख्या पिछले एक वर्ष के दौरान देखी गई संख्या के मुकाबले बहुत अधिक है। अगले 6 से 12 महीनों में इनमें से कुछ बातचीत का परिणाम नए ऋण के रूप में सामने आ सकता है।’ विश्लेषक उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास में अपने खर्च में इजाफा करेगी जिससे निजी पूंजीगत व्यय को भी मजबूती मिलेगी।