हरित गलियारे को मिला धन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:22 PM IST

राज्यों में अक्षय ऊर्जा की पहुंच को गति देने की कवायद के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज हरित ऊर्जा गलियारे (जीईसी) के दूसरे चरण को स्वीकृति दे दी। इस चरण में 7 राज्यों में परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी, जिससे अक्षय ऊर्जा के पारेषण में तेजी जाई जा सके। 
जीईसी अक्षय ऊर्जा (आरई) बिजली परियोजनाओं के लिए एक वैकल्पिक पारेषण व्यवस्था है। जीईसी के पहले चरण के दौरान सरकारी कंपनी पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (पीजीसीआईएल) ने अंतर राज्यीय पारेषण परियोजनाएं तैयार की थी और कुछ परियोजनाएं प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से निजी कारोबारियों को भी दी गई थीं। 
इस योजना के तहत 10,750 सर्किट किलोमीटर की बिजली पारेषण लाइन बिछाने और बिजली उपकेंद्रों के करीब 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पियर अंतरण का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा चरण की अनुमानित लागत 12,031.33 करोड़ रुपये है और परियोनजा लागत में केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) 33 प्रतिशत यानी 3,970.34 करोड़ रुपये होगी। 

पहले के दो चरणों में 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के पारेषण का लक्ष्य रखा गया था, जबकि आगामी चरण में इस दशक में 450 गीगावॉट पारेषण का लक्ष्य है।
इस चरण की परियोनजाओं का लक्ष्य राज्यों के ग्रिडों की पारेषण क्षमता बढ़ाना है।केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा है कि इस योजना से गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक,  केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की अक्षय ऊर्जा बिजली परियोजनाओं का करीब 20 गीगावॉट बिजली खाली करने और पारेषण के एकीकरण में मदद मिलेगी। केंद्र के नोट में कहा गया है कि इस योजना से दीर्घावधि बिजली सुरक्षा सुनिश्चित होगी और कार्बन फुटप्रिंट घटाने के साथ पर्यावरण के हिसाब से टिकाऊ वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार के अवसर का सृजन होगा, जिसका लाभ बिजली और इससे संबंधित कुशल और अकुशल दोनों तरह के श्रमिकों को मिलेगा। 

इन परियोजनाओं का आवंटन प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से होगा और यह निजी कंपनियों की हिस्सेदारी के लिए खुला होगा।

First Published : January 7, 2022 | 11:11 AM IST