जून में बढ़ गया जीएसटी संग्रह

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:33 AM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जून में बढ़कर 90,917 करोड़ रुपये रहा। यह मई में 62,009 करोड़ रुपये और अप्रैल में महज 32,294 करोड़ रुपये रहा था। जीएसटी संग्रह में सुधार इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार के कर जमा कराने की समयसीमा में मोहलत देने से पिछले महीनों के कर का भी जून में भुगतान हुआ है।
जीएसटी संग्रह का जून का आंकड़ा मई की तुलना में करीब 46 फीसदी और अप्रैल से 181 फीसदी अधिक है। यह कोरोनावायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार का भी संकेत है।
शार्दुल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर रजत बोस ने कहा, ‘जून में जीएसटी संग्रह बढऩा इस बात का संकेत है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधर रही है। हालांकि गौर करने वाली बात यह भी है कि बहुत सी कंपनियों ने मार्च, अप्रैल और मई के जीएसटी का भुगतान भी जून में किया है क्योंकि सरकार ने कर जमा कराने में मोहलत दी थी।’
वित्त मंत्रालय की तरफ से आज जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि अगर जून के जीएसटी संग्रह के आंकड़े को सालाना आधार पर तुलना के परंपरागत तरीके से देखते हैं तो जून में लगातार तीसरे महीने संग्रह घटा है। हालांकि गिरावट की दर में अहम कमी आई है। यह जून में महज 9.02 फीसदी रही है, जो मई में 38.17 फीसदी और अप्रैल में 71.63 फीसदी थी।
अप्रैल और मई में भारी गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीएसटी संग्रह करीब 70 फीसदी कम रहा है। इस साल जून में जीएसटी राजस्व पिछले साल के इस महीने में संग्रहीत 99.940 करोड़ रुपये राजस्व का 91 फीसदी रहा है।
पीडब्ल्यूसी में पार्टनर एवं लीडर (अप्रत्यक्ष कर) प्रतीक जैन ने कहा, ‘हालांकि पूरा संग्रह केवल मई में होने वाले लेनदेन का नहीं है, लेकिन यह बढ़त कारोबारी गतिविधियों में सुधार को दर्शाती है।’
ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि कर संग्रह में आगे बढ़ोतरी का रुझान रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘यह देखना रोचक होगा कि आगे संग्रह कैसा रहता है।’ सरकार ने कहा कि बहुत से करदाताओं के पास मई का रिटर्न भरने के लिए अब भी समय है। इसका मतलब है कि जुलाई के कर संग्रह के आंकड़े बढ़ सकते हैं।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी सुधार का संकेत है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से दो वजहों से हुई है। पहली दबी हुई मांग है, जिससे आर्थिक रफ्तार तेज हुई है। दूसरा बहुत से करदाताओं ने पिछले महीनों के कर का भुगतान किया है।
जून में हर्जाना उपकर 7,665 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले दो महीनों के कुल उपकर 7,010 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि इससे राज्यों की मुश्किलें बढ़ती रहेंगी। बजट में वित्त वर्ष 2021 में हर्जाना उपकर 1.1 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसका मतलब है कि हर महीने 9,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक।

First Published : July 1, 2020 | 11:17 PM IST