इस्पात उद्योग की चिंता दूर करेगी जीएसटी परिषद!

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:10 AM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद अगले हफ्ते लखनऊ में होने वाली बैठक में इस्पात क्षेत्र की चिंता दूर करने के उपाय कर सकती है। इस्पात विनिर्माता इनपुट टैक्ट क्रेडिट पर रोक और कबाड़ डीलरों द्वारा फर्जी चालान के कारण आपूर्ति पक्ष में अड़चन के साथ ही प्रवर्तन कार्रवाई का भी सामना कर रहे हैं। ऐसे में परिषद इस्पात के कबाड़ पर जीएसटी की दर को तर्कसंगत बनाने पर विचार कर सकती है। फिलहाल इस्पात कबाड़ पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री और पंजाब के वित्त मंत्री भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस्पात डीलरों द्वारा फर्जी चालान जारी किए जाने और इस्पात उत्पादकों पर इसके असर के बारे में पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने इस्पात के कबाड़ पर जीएसटी को मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने या कबाड़ पर शुल्क लगाने की सिफारिश की है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक इससे करीब 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है।

इस्पात उत्पादक कबाड़ डीलरों के फर्जीवाड़े के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट रोके जाने की समस्या का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही कच्चे माल की आपूर्ति शृंखला भी बाधित हो रही है। फर्जी चालान बनाने में संलिप्त लोग विभिन्न राज्यों में आपूर्तिकर्ता इकाइयों के लिए कई चालान जारी करते हैं। वे आम तौर पर रोलिंग मिल या इस्पात उत्पादकों की जटिल शृंखला का जाल बुनते हैं। उत्पादकों को अच्छी खासी आपूर्ति करने के बाद इस आपूर्ति शृंखला की शुरुआत करने वाला शख्स चंपत हो जाता है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘जब तक कर अधिकारी इस फर्जीवाड़े का पता लगाते हैं तब तक इसका सरगना काफी लेनदेन कर चंपत हो जाता है। इससे सरकार के खजाने को भी नुकसान पहुंचता है।’
उन्होंने कहा कि सरकार धातु कबाड़ पर कर की दर घटाकर फर्जी बिलिंग को हतोत्साहित कर सकती है और इससे जीएसटी संग्रह भी प्रभावित नहीं होगा। ठाकुर ने कहा, ‘इस कदम से समूची आपूर्ति शृंखला ज्यादा कर अनुपालन वाली होगी और कर की दर घटाने से राजस्व नुकसान का जोखिम भी नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि इसलिए इस्पात के कबाड़ पर जीएसटी दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिए ताकि कर चोरी पर रोक लगाई जा सके। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और उद्योग को भी राहत मिलेगी।

प्लास्टिक, रबर तथा लकड़ी आदि के कबाड़ पर जीएसटी की दर पहले ही 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी की जा चुकी है। 

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि लुधियाना तथा आसपास के इलाकों में औद्योगिक गतिविधियों की तुलना में फर्जीवाड़े कम है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी पंजीकरण में पैन-आधार प्रमाणन जैसे उपाय इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने में कारगर नहीं हैं। इसलिए कर अधिकारी नुकसान की भरपाई के लिए इस्पात उत्पादकों तक पहुंचते हैं जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालतों ने भी इस तरह के मामले में विनिर्माताओं को राहत दी है। बादल ने भी इस्पात कबाड़ पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि इस्पात कबाड़ पर रिवर्स शुल्क प्रणाली के आधार पर शुल्क लगाने का भी विकल्प है।

First Published : September 11, 2021 | 12:22 AM IST