इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को केंद्रीय बजट 2024-25 (वित्त वर्ष 25) में विनिर्माण बेहतर करने और मेक इन इंडिया पहलों के तहत दो महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कुल आवंटन 21,085 करोड़ रुपये के 62 फीसदी की भारी भरकम राशि आवंटित की गई है।
इन योजनाओं में बहुप्रचारित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं हैं। पीएलआई अब 14 की जगह 16 क्षेत्रों में लागू हैं। इनमें खिलौना, जूते, चमड़े आदि को भी शामिल किया गया है। दूसरी योजना सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले के विकास का संशोधित कार्यक्रम है। इसके तहत कंपनियों को देश में सिलिकॉन और कंपाउंड फैबरिकेशन (फैब), डिस्प्ले फैब, असेम्बली, टेस्टिंग, मार्किंग व पैकेजिंग (एटीएमपी), आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेम्बली और टेस्ट व डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है।
वित्त मंत्रालय ने बजट में इन दो योजनाओं के लिए आवंटन बीते साल की तुलना में दो गुना कर दिया है। मंत्रालय ने इन दो योजनाओं के लिए राशि को बीते वर्ष के 9,509 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 21,085 करोड़ रुपये कर दिया है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की दो परियोजनाओं के लिए भी बजट में राशि दो गुना कर दी गई है। मंत्रालय को वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) में 6,062 करो़ड़ रुपये आवंटित किया गया था और इसे वित्त वर्ष 25 में बढ़ाकर 13,103 करोड़ रुपये कर दिया गया।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सेमीकंडक्टर और सबसे सफल पीएलआई योजनाओं के लिए प्रशासनिक मंत्रालय है। इस क्रम में व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण (मोबाइल डिवाइस) के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हार्डवेयर (आईटी) के लिए फिर से तैयार की गई पीएलआई है। दरअसल, आईटी की पीएलआई शुरुआती दौर में ज्यादा सफल नहीं हो पाई थी।
अन्य मंत्रालयों में भारी उद्योग मंत्रालय को इस साल पीएलआई योजनाओं के लिए दूसरा सर्वाधिक आवंटन मिला था। इस क्रम में भारी उद्योग मंत्रालय की दो पीएलआई योजनाओं – ऑटोमोबाइल (वाहन) व वाहन कलपुर्जों और एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी को कुल 3,750 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके बाद औषधि विभाग को तीन पीएलआई के लिए 2,143 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इन तीन परियोजनाओं में घरेलू स्तर पर मेडिकल डिवाइस के विनिर्माण को बढ़ावा देना, थोक में दवाओं का निर्माण करने का पार्क (बल्क ड्रग पार्क) और मेडिकल डिवाइस पार्क हैं।
इस बारे में अच्छी खबर यह है कि वाहन क्षेत्र ने इलेक्ट्रिक वाहनों व उपकरणों के लिए मिले प्रोत्साहन के बाद तेजी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। इसके लिए वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान से सात गुना अधिक 3500 करोड़ रुपये से इस साल आवंटन किया गया है।
इससे ओला इलेक्ट्रिक, बजाज आटो व टीवीएस मोटर जैसी कंपनियों को दुपहिया वाहनों को मदद मिलेगी। टाटा मोटर्स व मारुति सुजुकी इंडिया को यात्री कारों में विशेष तौर पर सहायता मिलेगी। दरअसल, भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण की योजना सुस्त पड़ती जा रही थी।
स्पेश्यलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना भी कई मुश्किलें झेलने के बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। वित्त वर्ष 24 की तुलना में वित्त वर्ष 25 में आवंटन 100 गुना बढ़कर 245 करोड़ रुपये हो गया है।
दिसंबर 2023 तक 57 समझौता पत्र को लागू किया गया है। पांच इकाइयों ने उत्पादन शुरू कर दिया है और अन्य नौ इकाइयों के मार्च 2024 तक शुरू होने की उम्मीद थी।
स्टील मंत्रालय को मौजूदा वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलने की उम्मीद है जबकि उसे बीते वर्ष 12,900 करोड़ रुपये का निवेश हासिल हो चुका है।
टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं (विशेष तौर पर एसी और लाइट एमिटिंग डायोड लाइट के विनिर्माण) को विशेष तौर पर बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह योजना नई और हालिया पात्र कंपनियों को उन्नत लक्ष्य हासिल करने के लिए 15 जुलाई तक खोली गई थी। इसके लिए आवंटन साढ़े चार गुना बढ़ाकर वित्त वर्ष 25 में 298.02 करोड़ रुपये कर दिया गया है।