वित्त वर्ष 2020-21 में सकल व्यक्तिगत आयकर (रिफंड सहित) इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.5 फीसदी बढ़ा है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार की बात को पुख्ता करता है। आयकर संग्रह में वृद्घि तब हुई, जब पूरा साल ही कोविड संक्रमण और लॉकडाउन के कारण प्रभावित रहा। लेकिन सकल निगमित कर संग्रह में 6 फीसदी की कमी आई है। इसकी वजह से सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल की तुलना में 2 फीसदी कम रहा।
पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड रिफंड जारी किए गए, जिसके परिणामस्वरूप शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह करीब 8 फीसदी घटकर 9.5 लाख करोड़ रुपये रहा। रिकॉर्ड रिफंड के बावजूद चार साल में पहली बार कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान से ज्यादा है। हालांकि ये अंतरिम आंकड़े हैं और बैंकों से अभी अंतिम आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा तेज सुधार देखा जा रहा है। अंतिम आंकड़े आने के बाद कर संग्रह में और वृद्घि होने की उम्मीद है।’
सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 12.33 लाख करोड़ रुपये के करीब है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अग्रिम कर में उल्लेखनीय वृद्घि से व्यक्तिगत आयकर संग्रह बढ़ा है।’
सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह वित्त वर्ष 2020 के 5.55 लाख करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 2021 में करीब 5.7 लाख करोड़ रुपये रहा। निगमित कर संग्रह 6.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2020 में 6.7 लाख करोड़ रुपये था। शुद्घ प्र्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी इसलिए आई क्योंकि अर्थव्यवस्था पर महामारी का प्रभाव देखकर सरकार ने रिफंड के मामले समय पर निपटाए। शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके साथ ही शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान 9.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। इससे वित्तीय दबाव का सामना कर रही केंद्र सरकार को थोड़ी सहूलियत मिली है।
2020-21 में प्रत्यक्ष कर रिफंड इससे पिछले साल की तुलना में 43.3 फीसदी अधिक रहा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2.38 करोड़ से ज्यादा करदाताओं को 2.62 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए। इससे पिछले साल 1.83 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए थे। 2.34 करोड़ करदाताओं को करीब 87,749 करोड़ रुपये आयकर रिफंड किए गए, जबकि निगमित कर के मामलों में 1.74 लाख करोड़ रुपये वापस किए गए। सरकार ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था को महामारी के प्रभाव से उबारने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं और सीबीडीटी ने भी रिफंड के अटके मामले तेजी से निपटाए हैं।’
फरवरी में पेश बजट में अर्थव्यवस्था पर महामारी के असर को देखते हुए वित्त वर्ष 2021 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य कम कर 13.19 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था। बजट में अनुमान लगाया गया था कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 9.5 फीसदी के बराबर रहेगा। मगर राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि राजस्व में वृद्घि के कारण घाटे में कुछ कमी आ सकती है।