वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अब भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति ढीली किए जाने को लेकर संवेदनशील नहीं है, भले ही तेल और सोना देश के भुगतान के संतुलन को नीचे ला रहे हैं।
खबरों के मुताबिक इस सप्ताह फेडरल रिजर्व बॉन्डों व प्रतिभूतियों की अपनी मासिक खरीद की वापसी की घोषणा कर सकता है, जिसे उसने पिछले साल मार्च में शुरू की थी। महामारी बढऩे के कारण आर्थिक संकट से बचने के लिए सरकार ने ऐसा किया था।
अधिकारियों इस तरह के बदलाव से किसी भी नुकसान की संभावना को खारिज किया है। उनका कहना है कि आज की स्थिति 2012-13 जैसी नहीं है, जब देश का चालू खाते का घाटा बहुत ज्यादा था और केंद्र भारी भरकम राजकोषीय घाटे में चल रही थी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर कोई बदलाव होता है, तो क्या हम 2012-13 की तरह अति संवेदनशील स्थिति में हैं? इसका जवाब है, नहीं।’
अधिकारी ने कहा, ‘हमें खर्च के मामले में रूढि़वादी का दर्जा दिया जाता रहा है। उस समय (2013) हम अपव्ययी थे और हमें बाहरी के रूप में देखा जाता था। अब हमें खर्च के मामले में रूढिवादी के रूप में बाहरी माना जाता है।’
वित्त वर्ष 22 के पहले 6 महीने में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का महज 35 प्रतिशत रहा है। बहरहाल उर्वरक और खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी हो रही है। वित्त मंत्रालय का करना है कि राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021-22 के बजट अनुमानों के अनुरूप 6.8 प्रतिशत रहेगा, भले ही कर राजस्व में भारी बढ़ोतरी हुई है।
एक और अधिकारी ने कहा कि देश का भुगतान संतुलन इस समय बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘तेल और सोने के मामले में हमें जोखिम है, लेकिन इसके बावजूद निर्यात में पिछले कुछ महीने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसलिए भुगतान संतुलन पहले के दशक के शुरुआती दौर की तुलना में बहुत मजबूत रहेगा।’
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश का चालू खाता संतुलन जीडीपी के 0.9 प्रतिशत अधिशेष रहा है। बहरहाल सेने और तेल का आयात बढ़ रहा है, ऐसे में अगली तीन तिमाहियों के दौरान अधिशेष के घाटे में बदलने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2022 के पहले 6 महीने में तेल का आयात बढ़कर 72.9 अरब डॉलर पहुंच गया है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि में करीब 128 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि के दौरान सोने का आयात 253.6 प्रतिशत बढ़कर 23.9 अरब डॉलर हो गया। इस अवधि के दौरान देश के कुल आयात में इन दो जिंसों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत रही है।
बहरहाल एक अन्य अधिकारी कम उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, ‘तेल के दाम की वजह से हमारा भुगतान संतुलन गड़बड़ हो सकता है। और अगर सोने का आयात बढ़ता है तो ये दोनों बड़े खतरे हैं। एक पहले ही मूर्त रूप में सामने है। इसकी खपत स्थिर है। ऐसे में इससे व्यापार संतुलन बिगड़ेगा। पिछले साल हमने जितना तेल आयात पर खर्च किया था, उसकी तुलना में हम बहुत ज्यादा धन खर्च कर रहे हैं।’
सोने के आयात के बारे में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था बेहतर है और अगर ग्राहकों की धारणा उच्च रहती है तो सोने का आयात भी बढ़ेगा।
बहरहाल अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षेत्र जैसे सेल फोन और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स सरकार के उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर बेहतर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिससे इन सामानों का आयात कम होने की संभावना है। वित्त वर्ष 22 के अप्रैल-सितंबर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का आयात 39 प्रतिशत बढ़कर 32 अरब डॉलर हो गया है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 29 को समाप्त सप्ताह में 1.919 अरब डॉलर बढ़कर 642.019 अरब डॉलर हो गया है।