अर्थव्यवस्था

भारत को विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती के लिए 10,000 बड़ी कंपनियों की जरूरत: अमिताभ कांत

India Manufacturing Sector: उन्होंने कहा कि देश को विनिर्माण क्षेत्र में 10 फीसदी वृद्धि की उम्मीद करनी चाहिए।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- March 28, 2024 | 11:32 PM IST

भारत को विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती के लिए 10 हजार बड़ी कंपनियों की जरूरत है। इसके बिना विकास की देश की महत्त्वाकांक्षा पूरी नहीं हो सकती है। यह बातें जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहीं। उन्होंने कहा कि देश को विनिर्माण क्षेत्र में 10 फीसदी वृद्धि की उम्मीद करनी चाहिए।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के मंथन कार्यक्रम में कांत ने कहा कि अगले पांच वर्षों में देश में 10 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ने वाले 10 चैंपियन राज्य होने चाहिए, जो अगले साढ़े तीन दशक में दक्षिण कोरिया, चीन, ताइवान और सिंगापुर की तरह ही भारतीय अर्थव्यवस्था को 9 से 10 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।

कांत ने कहा, ‘हमें राज्यों को परिवर्तन का एजेंट बनाने की जरूरत है। हमें 10 से 11 चैंपियन राज्यों की जरूरत है, जो कुछ भी केंद्र ने किया है अब राज्यों को करने की जरूरत है। इसलिए सुधार जरूरी है। उन सभी को समाजवादी युग में बनाए गए कायदा-कानूनों को खत्म करना होगा।’

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्य अधिकारी ने कहा कि नौकरियां पैदा करने के लिए बड़ी कंपनियों को विकसित करना महत्त्वपूर्ण है। कांत ने कहा, ‘भारत में बहुत कम बड़ी कंपनियां हैं। यहां बहुत से एमएसएमई हैं। बड़ा होना कोई अपराध नहीं है।’

साथ ही कांत ने कहा कि भारत को विश्व का सबसे बड़ा स्टार्टअप देश बनने और सिलिकॉन वैली को टक्कर देने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इन कंपनियों में निजी पूंजी के निवेश को बढ़ावा देना चाहिए, जिसमें भारतीय पेंशन फंड, बीमा कंपनियां और पारिवारिक कारोबार भी शामिल हैं जो स्टार्टअप परिवेश में निवेश नहीं करते हैं।

कांत ने कहा, ‘स्टार्टअप कंपनियों में एलआईसी निवेश करे इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।’ कांत ने जोर देते हुए कहा कि भारतीय कंपनियों को केवल घरेलू बाजार पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निर्यात बाजार में आपको पांच गुना मूल्य मिलेगा। जिस वक्त आप दुनिया भर के बाजार के बारे में सोचते हैं आपका बाजार सिर्फ भारत के ही 1.4 अरब लोग नहीं हैं बल्कि विश्व के 5 अरब लोग हैं जो गरीबी पार कर मध्यम वर्ग में आने वाले हैं।’

एफडीआई नीति में बदलाव के मसले पर कांत का कहना है कि नीति एक-एक देश के अनुसार काम नहीं करती है और इसे आसान और सरल होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत को सभी क्षेत्रों में एफडीआई की मंजूरी देनी चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो बड़ी कंपनियां भारत नहीं आ रही हैं उनसे बात करनी चाहिए। हमें यह ध्यान देने की जरूरत है कि चीन का विकल्प तलाश रहे लोगों के लिए भारत से बेहतर कोई और देश नहीं है।’

कांत ने कहा कि भारत को आजादी के सौवें साल यानी साल 2047 तक 30-35 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अच्छी नौकरियां पैदा करनी की जरूरत है और इसे विनिर्माण को रफ्तार देकर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा करीब 40 फीसदी कृषि पर निर्भर है और इसे विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियों में बदलने की जरूरत है।

कांत ने कहा कि भारत को विकसित देश बनने के लिए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना होगा। विनिर्माण को रफ्तार देना, शहरीकरण, कृषि उत्पादकता और सेवा क्षेत्र पर काम करते हुए राज्यों को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की विकास महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निजी निवेश भी बड़े पैमाने पर लाने की जरूरत है। कांत ने कहा, ‘अगर आपको 10 फीसदी वृद्धि हासिल करनी है तो निवेश दर 40 फीसदी तक बढ़ानी होगी और यह सरकारी पूंजीगत व्यय के दम पर नहीं हो सकता है।’

क्रिप्टोकरेंसी के मसले पर कांत ने कहा कि वह एक करेंसी के तौर पर क्रिप्टो के खिलाफ हैं मगर एक परिसंपत्ति के रूप में क्रिप्टो भारतीयों की धारणा का सवाल है।

First Published : March 28, 2024 | 11:32 PM IST