अक्सर ऐसा नहीं होता है कि वृहद अर्थव्यवस्था (मैक्रोइकोनॉमी) और सूक्ष्म अर्थव्यवस्था (माइक्रोइकोनॉमी) एक राह पर चलती हैं और एक-दूसरे के अनुरूप हैं। ज्यादातर ऐसा देखा जाता है कि सूक्ष्म अर्थव्यवस्था कुछ अंतराल के साथ वृहद अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिक्रिया करती है। जून 2020 तिमाही में हालांकि कॉरपोरेट भारत के आंकड़ों में देश की वृहद आर्थिक स्थिति को प्रतिबिंबित किया है।
सूचीबद्घ 2,170 कंपनियों का संयुक्त राजस्व अप्रैल-जून 020 की तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 24.3 प्रतिशत घट गया जिससे तिमाही के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की कमी का पता चलता है। मौजूदा कीमतों पर जीडीपी तिमाही के दौरान 20.6 प्रतिशत नीचे है, जो भारतीय उद्योग जगत से बेहतर है।
इसके विपरीत, भारतीय उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2020 में मुख्य जीडीपी में काफी कमजोर वृद्घि दर्ज की। वित्त वर्ष 2020 में संयुक्त कॉरपोरेट राजस्व महज एक प्रतिशत तक बढ़ा था, जबकि स्थिर कीमतों पर जीडीपी में सालाना आधार पर 3.9 प्रतिशत की वृद्घि और मौजूदा कीमतों पर राष्ट्रीय उत्पादन में 7 प्रतिशत की तेजी के मुकाबले कम है। निर्माण और सेवा क्षेत्र में यह दबाव हालांकि अभी तक बदतर था। 1,821 कंपनियों (बैंकों, गैर-बैंक ऋणदाताओं और तेल एवं गैस कंपनियों को छोड़कर) की संयुक्त कुल बिक्री जून तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 27.44 प्रतिशत तक घटी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे कोविड-19 के प्रभाव का पता चलता है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है, ‘हेडलाइन जीडीपी यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई और कॉरपोरेट प्रदर्शन के बीच संबंध से कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव की गंभीरता का पता चलता है।’
कॉरपोरेट आय में गिरावट हालांकि अनुमान के मुकाबले कम थी, क्योंकि कंपनियों ने लागत नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया और उन्हें ट्रेजरी लाभ जैसी गैर-प्रमुख आय से अच्छे योगदान की वजह से मदद मिली। 2,170 कंपनियों के नमूने के लिए संयुक्त कर-पूर्व लाभ (पीबीटी) तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 55 प्रतिशत घट गया जबकि मार्च 2020 की तिमाही के दौरान पीबीटी में सालाना आधार पर 79 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई थी।
बैंकों, एनबीएफसी और तेल एवं गैस के मुकाबले अन्य कंपनियों ने आय में भारी गिरावट दर्ज की। इन कंपनियों की संयुक्त पीबीअी पहली तिमाही में सालाना आधार पर 90 प्रतिशत नीचे आ गया जबकि वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में यह 34 प्रतिशत और जून 2019 की तिमाही में 7 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई थी।
57 में से 47 उद्योगों ने जून तिमाही के दौरान राजस्व पर दबाव दर्ज किया जबकि 10 ने राजस्व वृद्घि दर्ज की। एयरलाइनों, होटल एवं रेस्तरां और रिटेलरों के लिए जून तिमाही के दौरान राजस्व में नुकसान 80 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा रहा। शुद्घ बिक्री में 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा गिरावट वाले अन्य उद्योगों में ऑटोमोबाइल, ऑटो एंसिलियरी, रियल एस्टेट, मीडिया, टेक्सटाइल एवं गारमेंट, पेट्रोकेमिकल्स और कागज शामिल रहे। इसके विपरीत, चीनी निर्माताओं, बैंकों, स्टॉक ब्रोकरों, शिपिंग कंपनियों और दूरसंचार ऑपरेटरों ने तिमाही के दौरान राजस्व में दो अंक की वृद्घि दर्ज की।