भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 17 जून को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.9 अरब डॉलर घटकर 590.59 अरब डॉलर हो गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि कुल भंडार में गिरावट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा संपत्तियों में 5.4 अरब डॉलर कमी की वजह से हुआ है।
दो सप्ताहों में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 10 अरब डॉलर से ज्यादा कम हुआ है क्योंकि केंद्रीय बैंक ने विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप रोक दिया है। इसके पहले के सप्ताह में रिजर्व बैंक ने 4.6 अरब डॉलर की बिक्री की थी।
फरवरी के आखिर मे रूस यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से ज्यादातर उभरते बाजारों की मुद्रा पर दबाव है क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश की तरफ भाग रहे हैं। 2022 में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 5 प्रतिशत गिरावट आई है।
25 फरवरी से अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 40.94 अरब डॉलर की कमी आई है। 3 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 642 अरब डॉलर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। यह राशि 2021-22 के 14-15 महीनों के आयात के बराबर थी। अभी जो विदेशी मुद्रा भंडार है, 2022-23 में अनुमानित आयात के महज 10 महीने के आयात के बराबर है।
एसपी जैन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर अनंत नारायण ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘निश्चित रूप से रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप का असर दिख रहा है। खासकर मई महीने में और अब जून में। इसकी अनुपस्थिति में हम बड़े पैमाने पर शुद्ध बहिर्प्रवाह देखते।’
एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि जून 2022 में अब तक विदेशी निवेशकों ने 45,841 करोड़ रुपये के बराबर भारतीय इक्विटी बेची है।
आईएफए ग्लोबल के सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा कि हाल की साप्ताहिक गिरावट में रिजर्व बैंक द्वारा बाजार में उतार चढ़ाव पर काबू पाने के लिए भंडार खोलने का असर नजर आता है। इस माह की शुरुआत में सप्ताहांत पर डॉलर के मुकाबले रुपया 78 पर था, जो बुधवार को अब तक के सबसे निचले स्तर 78.39 पर पहुंच गया। कम उतार चढ़ाव में कारोबार करने के बाद शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 78.31 पर बंद हुआ।