मई में औद्योगिक उत्पादन बढ़ा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:46 AM IST

भारत का औद्योगिक उत्पादन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मई महीने में 29.3 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले साल मई के कम आधार का लाभ एक और महीने में मिला है। सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पिछले साल मई महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 33.4 प्रतिशत का संकुचन आया था। एक आधिकारिक बयान में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने कहा है, ‘मार्च, 2020 से कोविड-19 महामारी को देखते हुए असामान्य परिस्थितियों के मद्देनजर इस सूचकांक की व्याख्या की जानी चाहिए।’
बहरहाल अगर पिछले महीने से तुलना करें तो अप्रैल से आईआईपी में करीब 8 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे पता चलता है कि मई 2021 में आई महामारी की दूसरी लहर का बाजार पर असर पड़ा है। मासिक आधार पर गतिविधियों के स्तर में भी गिरावट आई है, जिसका असर विनिर्माण गतिविधियों और बिजली उत्पादन पर नजर आ रहा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में आंकड़ों की कड़ाई से तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे आंकड़े बढ़े हुए नजर आएंगे।  तुलना महामारी के पहले के आंकड़े से की जानी चाहिए। अगर मई, 2019 से तुलना करें तो औद्योगिक उत्पादन मौजूदा स्तर पर नीचे है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘औद्योगिक उत्पादन पर कोविड-2 का असर पड़ा है। साफ है कि वित्त वर्ष 22 में शुरुआत बहुत उत्साहजनक नहीं रहा, भले ही कोविड-2 के लॉकडाउन में उद्योगों को कामकाज चालू रखने की अनुमति दी गई थी और उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कम कर्मचारियों के साथ काम करना था।’
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-मई 2021-22 के दौरान कुल मिलाकर संकुचन 68.8 प्रतिशत था और एक साल पहले की समान अवधि में 45 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
सिन्हा ने कहा, ‘अप्रैल, 2021 में फैक्टरी आउटपुट 94.3 प्रतिशत था, जो फरवरी 2020 का स्तर है। इससे साफतौर पर पता चलता है कि मार्च, 2021 तक औद्योगिक उत्पादन को कुछ आधार मिला था। यह आधार कोविड-2 के कारण हुए लॉकडाउन में खत्म हो गया, जो विभिन्न राज्यों ने विभिन्न इलाकों में लगाए थे।’
पूरे सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत से ज्यादा होती है, जिसमें 34.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।  मई में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बिजली उत्पादन में वृद्धि 7.5 प्रतिशत रही है। इसी तरह से खनन गतिविधियां, जिनकी हिस्सेदारी पूरे सूचकांक में 14 प्रतिशत से ज्यादा है, 23.3 प्रतिशत बढ़ी हैं। बहरहाल अगर पिछले महीने से तुलना करें तो इसमें 0.6 प्रतिशत तेजी आई है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘मई, 2021 में विनिर्माण में मासिक आधार पर 9.5 प्रतिशत की गिरावट जीएसटी ई-वे बिल में आई गिरावट की तुलना में कम है, जिससे संकेत मिलता है कि वस्तुओं का उत्पादन कम प्रभावित हुआ है, जबकि उनकी आवाजाही पर असर पड़ा है। इस तर्क के हिसाब से विनिर्माण में जून, 2021 में मासिक बढ़ोतरी के साथ जीएसटी के ई-वे बिल में तेज बढ़ोतरी हो सकती है।’
जहां तक उपभोग के आधार पर वर्गीकरण का सवाल है, उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन मई महीने में सबसे तेज 98.2 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें 70.3 प्रतिशत का संकुचन आया था। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन, जिससे निजी क्षेत्र के निवेश का पता चलता है, 85.3 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं मध्यस्थ वस्तुओं में मई में 55.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

First Published : July 13, 2021 | 12:37 AM IST