केंद्र सरकार ने ऋण भुगतान स्थगन अवधि के दौरान छोटे कर्जदारों के लिए चक्रवृद्घि ब्याज माफ करने का निर्णय किया है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे सरकार पर करीब 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
छह महीने तक किस्तों के भुगतान को टालने के बाद बैंकों द्वारा चक्रवृद्घि ब्याज लगाए जाने के विरोध में दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय में अब बुधवार को सुनवाई होगी। पहले आज इसकी सुनवाई होनी थी लेकिन इसे कल के लिए टाल दिया गया है।
सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार उन सभी लोगों के चक्रवृद्घि ब्याज का बोझ वहन करने के लिए तैयार है, जिनका कर्ज 2 करोड़ रुपये से कम है। इसमें सभी कर्जदार शामिल हैं, चाहे उन्होंने भुगतान स्थगन का लाभ लिया हो या नहीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय विकास वित्त संंस्थान गठित करने तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए नई नीति पर जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पेश करेगा। हालांकि उन्होंने इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
नई सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति के तहत सरकार रणनीतिक क्षेत्रों को परिभाषित करेगी, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की चार से अधिक इकाइयां नहीं होंगी, वहीं अन्य क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा। इसके अलावा सरकार प्रस्तावित विकास वित्त संस्थान में हिस्सेदारी लेगी और इसमें निजी क्षेत्र भी शामिल होगा। इससे अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
20,000 करोड़ रुपये के वोडाफोन कर मध्यस्थता मामले पर उक्त अधिकारी ने कहा कि सरकार इसकी समीक्षा करेगी कि नीदरलैंड्स और भारत के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत कराधान का मामला आता है या नहीं। उन्होंने कहा ‘ वोडाफोन मध्यस्थता फैसले पर अपील करने या नहीं करने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। सरकार का रुख स्पष्ट है कि यह पिछली तिथि से कराधान के सिद्घांत के विरुद्घ है लेकिन फैसले का ध्यान से मूल्यांकन करने की जरूरत है।’
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि द्विपक्षीय निवेश संधि केवल दो देशों के निवेश की रक्षा करती है लेकिन यह कराधान से जुड़ा नहीं है और उस पर देश का संप्रभु अधिकार है। कराधान का मामला सरकार के दायरे में आता है न कि द्विपक्षीय निवेश संधि के दायरे में।
हेग की मध्यस्थता अदालत ने आयकर विभाग द्वारा 20,000 करोड़ रुपये की कर मांग पर वोडाफोन समूह के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह मामला हचिसन-एस्सार सौदे से जुड़ा है।
कोविड संकट के दौरान प्रोत्साहनों के बारे में वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने आगे और राहत देने का विकल्प खुला रखा है।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को दो तरह के प्रोत्साहन पैकेज का ऐलाना किया था। इससे पूंजीगत व्यय बढऩे और त्योहारी मौसम में ग्राहकों की मांग बढऩे की उम्मीद है। अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अंत तक इससे रकीब 73,000 करोड़ रुपये की मांग पैदा हो सकती है।