अर्थव्यवस्था

सेमीकंडक्टर में निवेश, वियतनाम व भारत में होड़; चीन का विकल्प बनने की कवायद

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीते महीने हुए दौरे से वियतनाम को खासी बढ़त हासिल हुई

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- October 08, 2023 | 10:27 PM IST

भारत और वियतनाम अपने देशों में सेमीकंडक्टर कंपनियों को लुभाने के लिए मुकाबले में हैं। अमेरिका और चीन में तनाव बढ़ने के कारण दोनों देश अपने को वैश्विक कंपनियों के समक्ष वैकल्पिक गंतव्य के रूप में पेश कर रहे हैं।

इसकी शुरुआत वियतनाम ने वर्ष 2010 में शुरू की थी लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीते महीने हुए दौरे से इस देश को खासी बढ़त हासिल हुई। वियतनाम के बाइडन के दौरे से कई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को बढ़त मिली थी।

इस क्रम में वियतनाम में अम्कोर टेक्नॉलजी ने सेमीकंडक्टर के आउससोर्स असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) का 1.6 अरब डॉलर की परियोजना का मार्ग प्रशस्त हुआ। अम्कोर ने विश्व में अपना सबसे बड़ा दूसरा संयंत्र वियतनाम में स्थापित करने के फैसला किया है। इसके पहले चरण में अक्टूबर में परियोजना शुरू होगी।

वियतनाम में चिप डिजाइन के लिए मार्वल और साइनोप्सिस ने भी फैसला किया। वियतनाम ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में 5 अरब से डॉलर से अधिक का निवेश हासिल कर लिया है और इस बारे में सार्वजनिक स्तर पर घोषणा हो चुकी है या क्रियान्वयन के विभिन्न चरण हैं। वियतनाम में निवेश के क्रम में इंटेल, सैमसंग, हाना माइक्रोन, डच आपूर्तिकर्ताओं से लेकर चिप निर्माता एएसएमएल, इनफिनियन टेक्नॉलजीस, कोरिया की दिग्गज कंपनी एसकेसी आदि हैं।

भारत ने कुछ वर्ष पहले ही अपने को चीन के विकल्प के रूप में पेश किया है और अब तेजी से इस मुकाम को हासिल करने के लिए प्रयासरत है। भारत ने 2.75 अरब डॉलर के एडवांस थेरेपी औषधीय उत्पादों (एटीएमपी) के संयंत्र के लिए माइक्रोन से निवेश समझौता किया है।

इस क्रम में अमेरिका की एडवांस माइक्रो डिवाइसेज (एएमडी) ने बेंगलूरु में इंजीनियरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए चार वर्षों में 40 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इसके अलावा सेमीकंडक्टर उद्योग के एक अन्य आपूर्तिकर्ता एप्लाइड मटेरियल्स ने 5 करोड़ डॉलर की चिप टूल बनाने की परियोजना के लिए फॉक्सकॉन के साथ करार किया है।

हालांकि वियतनाम और भारत में से कोई भी फैब संयंत्र स्थापित करने के लिए वैश्विक फाउंड्रीज के साथ समझौता पूरा नहीं कर पाए हैं। फैब संयंत्र स्थापित करने के लिए 5 से 9 अरब डॉलर की आवश्यकता है। भारत व वियतनाम में जो भी देश इस निवेश को पहले हासिल कर लेगा, उससे खासी बढ़त हासिल हो जाएगी।

बाइडन के वियतनाम दौरे के दौरान अमेरिका ने न केवल अपने संबंधों के स्तर को सुधारा है बल्कि इस देश में सेमीकंडक्टर के कौशल को बेहतर करने के लिए शुरुआती कोष स्थापित करने का भी समझौता किया।

इसके अलावा अमेरिका ने वियतनाम में चिप्स और विज्ञान अधिनियम के तहत पांच वर्षों में 10 अरब डॉलर निवेश की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने की पेशकश की है। वियतनाम में दक्षिण कोरिया की कंपनियां खासी सक्रिय हैं।

First Published : October 8, 2023 | 10:27 PM IST