आसान नियम व नीतियां लागू करना अहम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:54 AM IST

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए अधिक से अधिक क्षेत्रों को खोलने की सरकार की योजनाओं की खबरें जोर पकड़ रही हैं लेकिन विशेषज्ञों ने चेताया है कि जमीन पर निवेश को आसान बनाने के लिए सक्रिय सुधार और जटिलताओं का सरलीकरण, लचीले नियम समय की जरूरत है। 
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि सरकार कुछ निश्चित क्षेत्रों में निवेशों की अनुमति देने के लिए ऐसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को और अधिक आसान करने पर विचार कर रही है जो इसमें अवरोध बन रहे हैं। 
सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार बीमा और रेलवे परिचालनों जैसे क्षेत्रों में एफडीआई नियमों में और अधिक छूट देने पर सक्रियता से विचार कर रही है। इन क्षेत्रों में निवेश की सीमा और प्रतिबंधों सहित विभिन्न बातों पर विचार किया जा रहा है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने संकेत किया कि एक ओर जहां व्यवस्थित तरीके से एफडीआई के लिए और अधिक क्षेत्रों को खोलने के कदम का स्वागत किया जाना चाहिए वहीं मौजूदा नीतिगत उपायों को सावधानी पूर्वक लागू करने की जरूरत है। 
डेलॉइट इंडिया के कंसल्टिंग पार्टनर रजत वाही ने कहा, ‘सबसे प्रमुख बात है जमीन पर क्रियान्वयन और राज्यों में उद्योगों की स्थापना के लिए मंजूरी लेने के लिए वन स्टॉप शॉप की व्यवस्था की जानी चाहिए। हमें देश में भर में उन्नत विनिर्माण केंद्रों की आवश्यकता है जहां कंपनियां आएं, अपना उद्योग लगाएं और विनिर्माण आरंभ कर दें। अधिक निवेशों को आकर्षित करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण, परिधान और रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में ऐसा किया जाना अधिक महत्त्वपूर्ण है।’
गोयल के बयान में आगे कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र और पूंजी बाजार में सुधार जारी है जिससे भी एफडीआई आवक को मदद मिलनी चाहिए।
भारत में केपीएमजी में पार्टनर और उसके एमऐंडए तथा पीई टैक्स के प्रमुख विवेक गुप्ता ने कहा, ‘मेरे विचार से क्षेत्रवार सीमाओं को खोलने से अधिक उम्मीद अर्थव्यवस्था में एफडीआई के प्रवाह को आसान बनाना होगा। स्पष्ट है कि हमें पूंजी की जरूरत है। वित्त जैसे कुछ क्षेत्रों को काफी मात्रा में इक्विटी पूंजी की आवश्यकता है। और उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की ओर से घोषणाओं में इन क्षेत्रों को पूंजी तक आसान पहुंच बनाने की अनुमति दी जाएगी।’
गुप्ता ने कहा कि नियमों पर स्पष्टता और नियामकीय व्यवस्था की पूर्वानुमेयता ऐसे महत्त्वपूर्ण घटक हैं जो एफडीआई की आवक को बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘निवेशककर्ता जल्दी से भारतीय कंपनियों की प्रत्यक्ष विदेशी सूचीबद्धता के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों को देखना चाहते हैं। 40 से 60 कंपनियों में इस एक कदम से ही अगले 12 से 18 महीनों में करीब 20 से 25 अरब डॉलर का पूंजी निवेश आ सकता है।’ 
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2019-20 में प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश 14 फीसदी बढ़कर 49.8 अरब डॉलर के साथ चार साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

First Published : July 14, 2020 | 12:27 AM IST