अर्थव्यवस्था

वैश्विक प्रतिकूल स्थितियों से अर्थव्यवस्था को मुख्य जोखिम: वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

IMF ने अनुमान लगाया है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि घटकर 3 प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहेगी। दोनों ही महामारी के पहले (2000 से 2019) के 3.8 प्रतिशत के औसत से कम है।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- December 28, 2023 | 10:01 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मुख्य जोखिम है। हालांकि महंगाई दर में कमी, लगातार वित्तीय समेकन और घटते चालू खाते के घाटे के कारण घरेलू स्थर पर व्यापक आर्थिक स्थिरता है, लेकिन सुस्त वैश्विक वृद्धि, ज्यादा सार्वजनिक कर्ज और भू-आर्थिक अनिश्चितताओं का भी असर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 की बैंकिंग में उथल पुथल के बाद से वैश्विक वित्तीय व्यवस्था अधिक लचीली है, लेकिन लंबे समय तक सख्त मौद्रिक नीति और आगे की आर्थिक मंदी वित्तीय स्थिरता को जोखिम पैदा कर सकती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अनुमान लगाया है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि घटकर 3 प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहेगी। दोनों ही महामारी के पहले (2000 से 2019) के 3.8 प्रतिशत के औसत से कम है।

वृद्धि में नरमी का असर वैश्विक व्यापार में भारी गिरावट के रूप में नजर आ सकता है। 2022 के 5.1 प्रतिशत से घटकर यह 2023 में 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

हालांकि 2024 में थोड़े सुधार के साथ यह 3.5 प्रतिशत रह सकता है, फिर भी यह औसत से कम होगा। 2000 से 2019 के बीच औसत वृद्धि 4.9 प्रतिशत थी।

First Published : December 28, 2023 | 10:01 PM IST