ऑनलाइन गेमिंग में केवाईसी जरूरी!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:02 PM IST

ऑनलाइन गेमिंग और इसमें दांव पर लगने वाली भारी रकम को देखते हुए सरकार के कान खड़े हो गए हैं। सरकार को अब इस बात का अंदेशा सताने लगा है कि ऑनलाइन गेमिंग का इस्तेमाल काले धन को सफेद बनाने (धन शोधन) में और उससे कमाई जाने वाली रकम का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में हो सकता है। इसे मद्देनजर रखते हुए सरकार ऑनलाइन गेमिंग एवं इससे जुड़ी गतिविधियों को धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) की जद में ला सकती है। गेमिंग कंपनियां धन शोधन निरोधक कानून के दायरे में लाई जाती हैं तो उन्हें इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोगों से पहले नो योर कस्टमर (केवाईसी) जमा करने के लिए कहना पड़ सकता है। 
गेमिंग कंपनियों को पीएमएलए के दायरे में लाने की जरूरत तब महसूस हुई, जब जांच एजेंसियां रकम के आदान-प्रदान का पता नहीं लगा सकीं। इसकी वजह यह थी कि जो ग्राहक ऑनलाइन गेमिंग में दांव लगा रहे थे, उनके बारे में जानकारी और उनके आधिकारिक पहचान पत्र उपलब्ध ही नहीं थे। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि इन गेमिंग ऐप्लिकेशन से लाखों रुपये की रकम की हेराफेरी हुई है मगर इसमें लिप्त लोगों की जानकारी गेमिंग कंपनियों के पास नहीं थी।

केवाईसी अनिवार्य करने के अलावा गेमिंग ऐप को पीएमएलए में लाने का एक मतलब यह भी होगा कि इन कंपनियों को अलग से एक निदेशक एवं एक मुख्य अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। पीएमएलए के तहत गेमिंग कंपनियों को रिपोर्टिंग इकाई (आरई) का दर्जा दिए जाने से इन इकाइयों को रकम भेजने वालों और पाने वालों की जानकारी एवं अन्य संबंधित विवरण वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को देना होगा। गेमिंग कंपनियों को 50,000 रुपये से अधिक के प्रत्येक लेनदेन की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए भी कहा जा सकता है। पीएमएलए के दायरे में गेमिंग कंपनियों को लाने से पहले ब्रिटेन के गैंबलिंग ऐक्ट में शामिल बातों का अध्ययन करने का भी सुझाव दिया गया था। बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी ऑनलाइन गेमिंग पर निगरानी से जुड़े दस्तावेज का अध्ययन किया है।
दस्तावेज में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि गेमिंग कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जो चिंता की बात है। वैसे तो गेमिंग कंपनियां कंपनी मामलों के मंत्रालय में पंजीकृत हैं मगर इनमें विदेशी निवेश पर कोई रोक नहीं है। सूत्रों ने कहा कि इनमें कुछ कंपनियां माल्टा में पंजीकृत हैं। वित्तीय उपाय कार्य बल (एफएटीएफ) ने माल्टा को उन देशों में शुमार किया है, जहां वित्तीय नियमन दुरुस्त नहीं हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो माल्टा एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में आता है। इंडिया मोबाइल गेमिंग रिपोर्ट 2021 के अनुसार भारत के शीर्ष 30 छोटे शहरों में 2020 की तुलना में ऑनलाइन गेम खेलने वाले लोगों की तादाद में 170 प्रतिशत तेजी आई है। कुछ छोटे शहरों में तो ऐसे लोगों की संख्या में 100 से 200 200 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है।

First Published : April 10, 2022 | 10:15 PM IST