मन में दबी हुई मांग के कारण भारत में जुलाई से अगस्त 2020 के दौरान आवास और वाहन ऋणों के लिए पूछताछ की संख्या 2019 की समान अवधि के स्तर पर रही। यह जानकारी सिबिल ने दी है। आवास ऋणों में पूछताछ की संख्या जुलाई-अगस्त, 2019 के स्तर के 112 फीसदी रही, सपंत्ति के बदले ऋण (एलएपी) की पूछताछ जुलाई-अगस्त, 2019 के स्तर के 90 फीसदी और वाहन ऋणों के लिए पूछताछ 88 फीसदी रही। सिबिल ने एक वक्तव्य में कहा है कि अर्थव्यवस्था के दोबारा खुलने के बाद खुदरा कर्ज की मांग फिर से बढऩे लगी है। रियल एस्टेट और वाहन क्षेत्र दोनों में वृद्घि सुस्त रहने के आसार हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि निकट भविष्य में आवास और वाहन ऋणों की मांग किस प्रकार से मूर्त रूप लेती है। ट्रांसयूनियन सिबिल साख के बारे में सूचना देने वाली कंपनी है। जुलाई और अगस्त 2020 में सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं को पूछताछ में जबरदस्त वापसी नजर आई। इसकी सबसे बड़ी वजह यह हो सकती है कि उन्होंने निजी ऋणदाताओं और वित्त कंपनियों से पहले अपना परिचालन आरंभ कर दिया था।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से ऋण के लिए आवेदन करने वाले उपभोक्ताओं की क्षमता भी प्रभावित हुई थी क्योंकि ऋणदाता की शाखा बहुत सीमित क्षमता के साथ काम कर रही थी। आर्थिक अनिश्चितता के वातावरण ने ऋणदाता और उपभोक्ता दोनों को उधारी को लेकर सतर्कता बरतने पर मजबूर कर दिया था।
सिबिल ने एक वक्तव्य में कहा कि हालांकि, इससे दबी हुई मांग के स्तर में भी इजाफा हुआ जो अब सामने आने लगी है।