बीएस बातचीत
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अरूप रायचौधरी और असित रंजन मिश्रा के साथ बजट पर बातचीत के कुछ अंश:
वित्त वर्ष 2023 के लिए आपके नॉमिनल जीडीपी वृद्धि लक्ष्य के पीछे क्या डिफ्लेटर अनुमान रहा है?
मंत्रालय के अर्थशास्त्रियों ने 8 से 8.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जीडीपी डिफ्लेटर सीपीआई महंगाई के समान नहीं है। उदाहरण के लिए इस साल जीडीपी डिफ्लेटर 8.4 फीसदी है, जो एक बड़ा आंकड़ा है। यह सीपीआई की तुलना में काफी अधिक है। आम तौर पर माध्य में संशोधन होता रहता है। अगर थोक मूल्य सूचकांक इस वर्ष काफी अधिक है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से अधिक है तो यह अगले वर्ष उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से नीचे रहता है। लिहाजा जीडीपी डिफ्लेटर में संशोधन होने की स्थिति में अगले वर्ष यह सीपीआई से नीचे हो सकता है।
इस वर्ष बजट का मुख्य मकसद क्या रहा है?
बजट में रोजगार को बढ़ावा देने पर मुख्य जोर दिया गया है। इसके लिए आर्थिक गतिविधियों में तेजी की जरूरत है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बजट में पूंजीगत व्यय पर खासा जोर दिया गया है। इसके साथ ही हम राजकोषीय मजबूती का भी ध्यान रख रहे हैं। यह दोनों बातों पर बजट में विशेष ध्यान रखा गया है।
ऐसा कहा जा रहा है कि बजट में उपभोग को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान नहीं किए गए है?
मेरा अब भी मानना है कि गरीबों को छोड़कर आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश उपभोग में कमी की मुख्य वजह रही है। गतिविधियों में यह कमी वित्त से जुड़ी नहीं है। कोविड महामारी की वजह से शनिवार और रविवार को अधिकांश राज्यों में कफ्र्यू लगाया गया था और बाकी दिन भी रात में 9 बजे के बाद निकलने पर पाबंदी थी। ये पाबंदियां सरकारी हस्तक्षेप से दूर नहीं हो सकती हैं। सरकार गरीबों का ध्यान लगातार रख रही है मगर मांग एवं उपभोग को दूसरे गैर-वित्तीय कारक प्रभावित कर रहे हैं।
रोजगार सृजन को लेकर सरकार की क्या नीति है?
इस बजट में रोजगार सृजन के उपाय किए गए हैं। सड़क, रेलवे, दूरसंचार क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के उपाय किए गए हैं। इनके अलावा राज्यों की परियोजनाओं और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भी निवेश बढ़ा है। ये सभी वास्तविक उपयोगी परिसंपत्तियां हैं जिनसे रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। इससे गरीब तबके से लेकर मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। हमने अस्थायी राहत देने के बजाय लोगों को दीर्घ अवधि तक प्रभाव छोडऩे वाली रणनीति अपनाई है।
हरेक वर्ष सरकार पूंजीगत व्यय बढ़ाती है मगर निजी निवेश नहीं बढ़ा है। भारतीय उद्योग जगत को आप क्या संदेश देंगे?
मुझे नहीं लगता कि देश का उद्योग जगत मेरे संदेश पर ध्यान देगा। मेरा मानना है कि वे बाजार और निवेशकों की बातों पर विशेष ध्यान देंगे। अगर वे बाजार में पूंजी निवेश की संभावनाएं देखेंगे तो वे अवश्य निवेश बढ़ाएंगे।