देश के सभी 8 प्रमुख उद्योगों का उत्पादन फरवरी में कम रहा, जिसकी वजह से कुल मिलाकर प्रमुख क्षेत्र के उत्पादन में 4.6 प्रतिशत का संकुचन आया है। इसकी वजह से इसके पहले के दो महीनों की मामूली वृद्धि कमजोर नजर आ रही है।
इसका असर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर पड़ सकता है क्योंकि इसमें प्रमुख क्षेत्र के उद्योगों की अहम हिस्सेदारी होती है। फरवरी महीने में आईआईपी में संकुचन बढ़ सकता है, जो जनवरी में 1.6 प्रतिशत गिरा था। विशेषज्ञों का कहना है कि 6.4 प्रतिशत के ज्यादा आधार के कारण कुछ संकुचन की उम्मीद पहले से थी, लेकिन हर क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट चिंता का विषय है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘सभी क्षेत्रों का नकारात्मक क्षेत्र में जाना निराशाजनक है।’
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 11 महीनों में प्रमुख क्षेत्र के उद्योगों के उत्पादन में 8.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष की समान अवधि में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इन उद्योगों के उत्पादन में कम से कम इसके पहले के 8 साल में कभी संकुचन नहीं आया था।
अगर आधार के असर को प्रमुख माना जाए तो मार्च में प्रमुख क्षेत्र के उत्पादन में विस्तार होना चाहिए क्योंकि मार्च और उसके बाद से सितंबर और दिसंबर को छोड़कर पूरे 2020 में संकुचन आया था।
सबनवीस ने कहा कि यह देखना दिलचस्प होगा कि मार्च में स्थिति कैसी रहती है, क्योंकि इस महीने में सभी औद्योगिक गतिविधियां सुस्त रही हैं और आधार का असर पक्ष में है।
बहरहाल पहले के साल में जहां मार्च महीने में एक सप्ताह के लिए संपूर्ण लॉकडाउन था, वहीं इस बार स्थानीय स्तर पर कुछ जगहों पर लॉकडाउन है।
दरअसल फरवरी में स्टील में नकारात्मक वृद्धि 1.8 प्रतिशत और सीमेंट में 5.5 प्रतिशत रही है, जिससे पता चलता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में मांग में तेजी नहीं आई है।
बिजली उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है। यह अहम नहीं है, लेकिन इससे वाणिज्यिक क्षेत्र में कम मांग का पता चलता है, जिसमें विनिर्माण व सेवा क्षेत्र शामिल हैं। तेल उद्योग में मंदी जारी है और रिफाइनरी उत्पादों के साथ प्राकृतिक गैस क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट आई है।
उद्योग श्रमिकों के लिए महंगाई दर में बढ़ोतरी
औद्योगिक श्रमिकों से संबंधित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में बढ़कर 4.48 प्रतिशत पर पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ईंधन और कुछ खाद्य वस्तुओं के महंगा होने से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा। जनवरी में औद्योगिक श्रमिकों से संबंधित खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 3.15 प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि औद्योगिक श्रमिकों से संबंधित खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर फरवरी 2021 में 4.48 प्रतिशत थी जो इससे पिछले महीने (जनवरी 2021) में 3.15 प्रतिशत थी। फरवरी 2020 में यह मुद्रास्फीति 6.84 प्रतिशत थी। मंत्रालय के बयान के मुताबिक इस साल फरवरी में औद्योगिक श्रमिकों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति 4.64 प्रतिशत रही। जनवरी में यह 2.38 प्रतिशत थी। भाषा