मांग गिरने की वजह से भारत में विनिर्माण गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और जुलाई महीने में इसमें तेज गिरावट आई है। इसके पहले के दो महीने में गिरावट की रफ्तार में सुधार हुई थी। आईएचएस मार्किट के इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) की ओर से आज जारी सर्वे के मुताबिक जुलाई महीने में देश भर में क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन बढ़ाए जाने मांग ठहर गई है और उत्पादन कम हुआ है। जुलाई में पीएमआई 46 अंक पर रहा, जो जून के 47.2 की तुलना में कम है।
पीएमआई का 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है, जबकि इससे नीचे रहना इसमें दबाव अथवा संकुचन को दर्शाता है। अप्रैल महीने में पीएमआई ऐतिहासिक निचले स्तर 27.4 पर पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद से तेजी से ऊपर चढ़ा।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री एलियॉट केर ने कहा, ‘सर्वे के परिणाम से पता चलता है कि प्रमुख संकेतकों में गिरावट फिर से बढ़ी है और पिछले दो महीनों से आ रही स्थिरता को झटका लगा है। साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि फर्में काम पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं और उनके कुछ ग्राहक लॉकडाउन में फंसे हैं। इससे पता चलता है कि संक्रमण की रफ्तार कम होने और आगे प्रतिबंधों को खत्म किए जाने सतक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना नहीं है।’ केर ने चेताया है कि आगे संक्रमण के मामले और बढऩे पर लॉकडाउन बढ़ सकता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में रिकवरी को पटरी से उतार देगा।
अप्रैल महीने में देशव्यापी बंदी और निर्यात खत्म होने की वजह से सभी क्षेत्रों में गिरावट आई थी। उसके बाद से नौकरियां प्रभावित हुई हैं और जुलाई में भी नौकरियां घटी हैं। पीएमआई सर्वे से पता चलता है कि विनिर्माताओं ने नौकरियों में एक बार फिर कटौती की है।
लगातार चौथे महीने नए ऑर्डर गिरे हैं। साथ ही उद्योग संगठनों ने कहा है कि श्रमिकों व कच्चे माल की कमी की वजह से आपूर्ति शृंखला दुरुस्त नहीं हो पा रही है। यही धारणा उत्पादन में भी है और जून की तुलना में गिरावट बढ़ी है, लेकिन मौजूदा संकट के शीर्ष की तुलना में सुस्त है। सर्वे मेंं कहा गया है कि बिक्री में गिरावट की वजह ग्राहकों के कारोबार की लंबे समय से बंदी है।
विदेशी बाजार में मांग घटने से स्थिति और खराब हुई है, इसकी वजह से बिक्री में और गिरावट आई है। भारत के निर्यात के बड़े बाजार जैसे अमेरिका, खाड़ी देश और यूरोपियन यूनियन चल रही महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
सर्वे में भाग लेने वालों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ग्राहक ऑर्डर देने में हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि महामारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
पीएमआई सर्वे में कहा गया है कि विनिर्माता एक साल के कारोबारी परिदृश्य को लेकर जुलाई में आशावान नजर आए और यह धारणा मजबूत हुई है। उत्पादन घटने की वजह से खरीद गतिविधियों में फर्मों ने कटौती की है, जिसकी वजह से संकुचन पांचवें महीने में पहुंच गया है। आईएचएस मार्किट ने कहा है कि इनपुट खरीद में गिरावट पिछले महीने से तेज रही है।
लागत के मोर्चे पर देखें तो भारत के विनिर्माताओं के इनपुट लागत में लगातार गिरावट आ रही है। बहरहाल गिरावट की रफ्तार जून की तुलना में कम हुई है। इसमें शामिल लोगों ने कहा कि ज्यादातर वस्तुओं की मांग कम रहने के बावजूद कुछ कच्चे माल की कमी की वजह से महंगाई का भी असर रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के झटकों के बाद घरेलू उद्योग पर असर बरकरार है, भले ही असमान रिकवरी ने आकार लेना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर जून के लिए औद्योगिक अनुमान इस माह के आखिर में आना है। इक्रा का अनुमान है कि कुल मिलाकर औद्योगिक उत्पादन जून में 15 से 20 प्रतिशत कम होगा, वहीं केयर रेटिंग का कहना है कि 20 से 22 प्रतिशत गिरावट आ सकती है।