अर्थव्यवस्था

Monthly Economic review: आगे नरम रहेगी महंगाई- सरकार

Monthly Economic review: चालू खाते के घाटे पर रहेगी नजर, बोआई में तेजी से खाद्य कीमतों पर लगाम कसने में मदद

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- March 22, 2024 | 10:38 PM IST

Monthly Economic review: सरकार मानती है कि खरीफ फसलों की बोआई का रकबा बढ़ने से खानपान की वस्तुएं सस्ती होंगी। वित्त मंत्रालय ने फरवरी की अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में यह उम्मीद जताते हुए कहा कि बोआई में तेजी आने से मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा, जिससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर लगाम कसने में मदद मिलेगी। आज जारी समीक्षा में कहा गया है, ‘मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान जारी है। इससे कीमतों पर दबाव घटने का संकेत मिलता है। दमदार घरेलू वृद्धि और वैश्विक जिंस की कीमतों में नरमी के कारण मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट जारी है।

सरकार द्वारा समय पर और आपूर्ति पक्ष के तमाम मोर्चों पर किए गए उपायों से भी कीमतों पर लगाम लगाने में मदद मिली है।’ वित्त मंत्रालय की यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की 3 से 5 अप्रैल तक होने वाली बैठक से पहले आई हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर से ही घट रही है। फरवरी में यह 5.09 फीसदी रही थी।

वित्त मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए घरेलू पारिवारिक बचत बढ़ाने पर जोर दिया है। खबरें आ रही थीं कि 2022-23 में घरेलू पारिवारिक शुद्ध बचत घट कर पांच साल के निचले स्तर पर रह गई थी। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार पारिवारिक बचत दर 2020-21 में 11.5 फीसदी थी जो घटकर 2022-23 में 5.1 फीसदी रह गई। यह पांच दशक का निचला स्तर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार घाटा कम होने और शुद्ध सेवा प्राप्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद वित्त वर्ष 2025 में चालू खाते के घाटे पर नजर रखने की जरूरत होगी। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र के पूंजी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए घरेलू पारिवारिक बचत में वृद्धि आवश्यक होगी।’ इसमें यह भी कहा गया है कि भारत को वित्त वर्ष 2025 बेहतर लग रहा है।

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद तस्वीर बेहतर रहने के आसार हैं। रिपोर्ट कहती है कि मुद्रास्फीति में ​स्थिरता और रोजगार के बेहतर अनुमान के साथ दमदार वृद्धि से भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष को सकारात्मक रुख के साथ अलविदा कहेगी।

ब्लूमबर्ग ने जनवरी 2025 से भारत को अपने बॉन्ड सूचकांक में शामिल करने की घोषणा की है। वित्त मंत्रालय मानता है कि इससे भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया ​है कि भारत में वैश्विक निवेशकों की धारणा सुधरने का असर विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की आवक पर दिखने लगा है।

मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाई या​त्रियों की आवाजाही बढ़ने और यात्री वाहनों की बिक्री चढ़ने, डिजिटल भुगतान एवं उपभोक्ता धारणा में सुधार होने से पता चलता है कि निजी खपत की मांग बढ़ी है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हाल में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक आ​र्थिक वृद्धि में नरमी के बीच भारत आर्थिक प्रदर्शन शानदार रहा है।’ इसमें कहा गया है कि छोटे एवं मझोले शहरों में रिहायशी जमीन-जायदाद की मांग बढ़ने से निर्माण गतिवि​धियां भी बढ़ेंगी।

जहां तक रोजगार का सवाल है तो रिपोर्ट में श्रम बल सर्वेक्षण का उल्लेख किया गया है, जिसमें 2023 में बेरोजगारी दर घटने और श्रम बल भागीदारी बढ़ने का संकेत मिलता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि के अलावा रोजगार भी बढ़ा है। कृषि छोड़ने वाले श्रम बल को खपाने की क्षमता भी बेहतर हुई है।

First Published : March 22, 2024 | 10:38 PM IST