अर्थव्यवस्था

मूडीज ने बरकरार रखी भारत की रेटिंग, स्थिर परिदृश्य बरकरार

मणिपुर में अशांति का जिक्र करते हुए Moody’s ने कहा है कि बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के कारण नागरिक समाज के अधिकारों की कटौती हुई है और राजनीतिक असहमति बढ़ी है

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- August 18, 2023 | 11:38 PM IST

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के दीर्घावधि स्थानीय व विदेशी मुद्रा जारीकर्ता रेटिंग की पुष्टि की है। शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि इसके साथ ही मूडीज ने स्थिर परिदृश्य का दर्जा भी बरकरार रखा है।इसमें कहा गया है, ‘पुष्टि और स्थिर परिदृश्य मूडीज के इस विचार से प्रेरित है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि जारी रहने की संभावना है। हालांकि पिछले 7 से 10 साल के दौरान संभावित वृद्धि में कमी आई है।’

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत की उच्च जीडीपी वृद्धि आमदनी के धीरे धीरे बढ़ते स्तर और और कुल मिलाकर आर्थिक लचीलेपन में भूमिका निभाएगी।

इसमें कहा गया है कि यह धीरे धीरे राजकोषीय समेकन और सरकार के कर्ज के स्थिरीकरण का समर्थन करेगा, भले ही यह उच्च स्तर पर है। मूडीज को उम्मीद है कि भारत की आर्थिक वृद्धि कम से कम 2 साल तक अन्य सभी जी-20 देशों की अर्थव्यवस्थाओं से तेज रहेगी, जिसे घरेलू मांग से समर्थन मिलेगा।

इसमें कहा गया है, ‘इससे भारत की संभावित वृद्धि दर करीब 6 से 6.5 प्रतिशत रहने के संकेत मिलते हैं, जो महामारी के दौरान 6 प्रतिशत से कम थी। हालांकि यह पिछले दशक के मध्य के 7 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में कम है।’

मूडीज ने यह भी कहा है कि भारत अपने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत कर रहा है और आर्थिक व आकस्मिक देनदारी जोखिम को बढ़ाया गया है। भारत की दीर्घावधि स्थानीय व विदेशी मुद्रा जारीकर्ता रेटिंग और स्थानीय मुद्रा सीनियर अनसेक्योर्ड रेटिंग बीएए3 बनी हुई है, जबकि अन्य कम अवधि की स्थानीय मुद्रा रेटिंग पी-3 पर है।

बयान में कहा गया है कि अगर भारत के राजकोषीय समेकन में प्रगति होती है तो मूडीज रेटिंग बढ़ा सकता है।  समेकन से सरकार के कर्ज का बोझ घटेगा और कर्ज की वहनीयता में सुधार होगा और इससे राजकोषीय ताकत बढ़ेगी।

वैश्विक और घरेलू ब्याज दरों में बढ़ोतरी से कर्ज के बढ़े बोझ और कमजोर ऋण वहनीयता का जोखिम बन रहा है,  जो भारत के सॉवरिन रेटिंग में लंबे समय से रहा है। इसमें कहा गया है कि मूडीज को यह स्थिति बरकार रहने की संभावना है।

मणिपुर में अशांति का जिक्र करते हुए मूडीज ने कहा है कि बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के कारण नागरिक समाज के अधिकारों की कटौती हुई है और राजनीतिक असहमति बढ़ी है। इससे संस्थानों की गुणवत्ता और राजनीतिक जोखिम को लेकर स्थिति कमजोर हुई है।

First Published : August 18, 2023 | 11:15 PM IST