रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9.3 प्रतिशत कर दिया है। इसके पहले एजेंसी ने 13.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। साथ ही मूडीज ने फिलहाल सॉवरिन रेटिंग बढ़ाने की संभावना से भी इनकार किया है।
देश भर में कोविड संक्रमणों की दूसरी लहर को देखते हुए जीडीपी वृद्धि का अनुमान कम किया है, जिसकी वजह से लॉकडाउन करना पड़ा है और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर आवाजाही प्रभावित हुई है।
मूडीज ने एक विज्ञप्ति में कहा है, ‘दूसरी लहर के नकारात्मक असर के परिणामस्वरूप हम वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने रियल और महंगाई समायोजित जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9.3 प्रतिशत कर रहे हैं, जो पहले 13.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।’
भारत कोरोनावायरस संक्रमण की गंभीर दूसरी लहर से जूझ रहा है। मूडीज का कहना है कि इससे कम अवधि के हिसाब से आर्थिक रिकवरी की रफ्तार सुस्त हो जाएगी और इसका असर दीर्घावधि वृद्धि के आंकड़ों पर भी पड़ सकता है। परिणामस्वरूप रेटिंग एजेंसी अब उम्मीद करती है कि सरकार का व्यापक आम राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 22 में जीडीपी के 11.8 प्रतिशत के बराबर होगा, जबकि इसके पहले 10.8 प्रतिशत घाटे का अनुमान लगाया गया था। सुस्त वृद्धि और ज्यादा घाटे के संयुक्त असर की वजह से यह माना जा रहा है कि सरकार पर कर्ज का बोझ वित्त वर्ष 2022 के दौरान जीडीपी का 90 प्रतिशत रहेगा और यह वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 92 प्रतिशत हो जाएगा। मूडीज का अनुमान आईएचएस मार्किट के अनुमान के नजदीक है, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022 में 9.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
रेटिंग में सुधार
मूडीज ने भारत के सॉवरिन रेटिंग में बढ़ोतरी की किसी भी संभावना से इनकार किया है। इसके विपरीत रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी है कि ‘स्वयं को मजबूत बनाने’ के आर्थिक व वित्तीय जोखिम से रेटिंग पर दबाव बढ़ेगा। मूडीज ने कहा है, ‘निकट भविष्य में रेटिंग में बढ़ोतरी की संभावना नहीं नजर आ रही है। बहरहाल अगर आर्थिक प्रगति और नीतिगत कार्रवाइयों से आत्मविश्वास बढ़ता है और रियल और नॉमिनल वृद्धि टिकाऊ होती है तो हम भारत के रेटिंग परिदृश्य में बदलाव कर इसे स्थिर करेंगे।’
दीर्घावधि स्थिति
कम अवधि के झटकों के बावजूद मूडीज के विशेषज्ञों सहित ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का असर सीमित होगा। मूडीज ने कहा, ‘फिलहाल हम आर्थिक उत्पादन पर नकारात्मक असर की उम्मीद कर रहे हैं, जो अप्रैल-जून तिमाही तक सीमित रहेगा और उसके बाद साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेज उछाल आएगा।’ इसके परिणामस्वरूप रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022 के लिए जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत से 7.9 प्रतिशत कर दिया है। दीर्घावधि के हिसाब से हम उम्मीद करते हैं कि उसके बाद वृद्धि करीब 6 प्रतिशत रहेगी।
नोमुरा ने घटाया अनुमान
नोमुरा ने भी दूसरी लहर के सीमित असर की बात कही है, लेकिन जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमानों को लेकर सावधानी बरती है। संक्रमण की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर कम अवधि तक नकारात्मक असर रहेगा
जापान की ब्रोकरेज कंपनी ने आज वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 10.8 प्रतिशत कर दिया। पूर्व में उसने 12.6 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान जताया गया था। नोमुरा ने कहा कि उसके आकलन के तहत गतिविधियों का स्तर 9 मई को समाप्त सप्ताह में महामारी पूर्व स्तर के 64.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इस सप्ताह इसमें 5 प्रतिशत की और गिरावट आई है। गतिविधियों का स्तर फिलहाल जून 2020 के स्तर के बराबर है। ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में कमी का कारण ‘लॉकडाउन’ की वजह से जून तिमाही में होने वाला नुकसान है। उसने कहा, ‘स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन से दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) पर असर पड़ेगा।’ हालांकि, मध्यम अवधि में वैश्विक पुनरुद्धार, सुगम वित्तीय स्थिति जैसी चीजें अभी बरकरार हैं। 2020-21 में पिछले साल लगाए गए ‘लॉकडाउन’ के कारण अर्थव्यवस्था में 7.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।