केंद्रीय बजट 2022-23 के पहले विशेषज्ञों ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कुछ कर प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है, जिससे कि नियमन और अनुपालन बोझ कम हो सके। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि कॉर्पोरेट या व्यक्तिगत आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
कर की दरों के बारे में सरकार का मानना है कि अगर कोई बदलाव किया जाता है तो कोविड-19 के दौर में अनिश्चितता और परिवार की आमदनी और बजट पर इसके असर को देखते हुए यह नुकसानदायक होगा। शार्दूल अमरचंद मंगलदास में टैक्स पार्टनर गौरी पुरी ने कहा, ‘निश्चित रूप से हम व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट आयकर में किसी तरह की बड़ी कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। बजट से यह उम्मीद है कि कुछ मौजूदा प्रावधानों को तार्किक बनाया जाएगा। अनुपालन व कर प्रशासन आसान करने की अभी तमाम संभावनाएं हैं। उद्योग की तरफ से कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) व्यय में कटौती की मांग की गई है, जो इस समय नहीं है।’
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड का कहना है कि सीएसआर व्यापार के मकसद से नहीं होता है, ऐसे खर्च को कटौती के रूप में अनुमति नहीं मिल सकती है। बहरहाल तमाम उद्योग संगठनों ने सीएसआर व्यय पर कटौती की अनुमति देने की मांग की है।
डेलॉयट में पार्टनर नीऊ आहूजा ने कहा, ‘कर के हिसाब से नियामकीय व अनुपालन बोझ पर विचार करना अच्छी बात है। एक और मसला बहुत अमीर लोग (एचएनआई) पर ज्यादा कर को लेकर है, जिन्हें 42 से 45 प्रतिशत कर देना होता है। यह उचित और बेहतर लग सकता है, लेकिन हम भूल जाते हैं कि कभी कभी लोगों को अपना आधार बदलने का विकल्प होता है। पूंजी व एचएनआई का दूसरे न्यायक्षेत्र में यानी विदेश चले जाना ऐसा विषय है, जिस पर सरकार को निश्चित रूप से ध्यान देने की जरूरत है।’
ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट, 2021 के मुताबिक भारत के करीब 5,000 मिलियनायर या एचएनआई के 2 प्रतिशत 2020 में ही देश छोड़कर चले गए।
व्यक्गित आयकर में अंतिम बार महामारी के पहले 2020-21 के बजट में बदलाव किया गया था। 5 से 7.5 लाख रुपये सालाना आमदनी वाले लोगों पर कर 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं 7.5 से 10 लाख आमदनी वालों पर कर 20 प्रतिशत से 15 प्रतिशत और 10 से 12.5 लाख आमदनी पर कर 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया। 15 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी के लोगों को 30 प्रतिशत कर ढांचे में बनाए रखा गया है।