इलस्ट्रेशन- अजय मोहंती
वित्त मंत्रालय द्वारा संसद के आगामी बजट सत्र में नया आयकर विधेयक पेश किए जाने की संभावना नहीं है। हालांकि आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए मुख्य आयकर आयुक्त वीके गुप्ता के नेतृत्व में गठित आंतरिक समिति वित्त वर्ष 2026 के बजट से पहले अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
घटनाक्रम के जानकार एक अधिकारी ने कहा, ‘बजट सत्र के दौरान इस विधेयक के पेश होने की संभावना नहीं है। वीके गुप्ता समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधि मंत्रालय की मदद से नए विधेयक का मसौदा तैयार किया जाएगा। विधेयक का मसौदा तैयार होने के बाद उसे वित्त मामलों की स्थायी समिति के पास समीक्षा और प्रतिक्रिया के लिए भेजा जाएगा।’ फिलहाल गुप्ता समिति विशेषज्ञों और विभिन्न निकायों से प्राप्त सिफारिशों की समीक्षा कर रही है।
वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के अपने बजट भाषण में आयकर कानून की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इस कदम का उद्देश्य अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और पढ़ने या समझने में सरल बनाना है।
वित्त मंत्री ने कहा था, ‘इससे विवाद और मुकदमेबाजी कम होगी जिससे करदाताओं को कर के मामले में निश्चितता होगी। इससे कर मांग को लेकर मुकदमेबाजी में भी कमी आएगी। आयकर कानून की समग्र समीक्षा छह महीने में पूरा करने का प्रस्ताव है।’
मौजूदा स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) व्यवस्था जटिल हो गई हैं। इस जटिलता को दूर करने के लिए समिति द्वारा सरल नजरिया पेश करने का प्रस्ताव है। सूत्रों के अनुसार सीमा शुल्क कानून की तरह ही समिति दरों की एक व्यापक अनुसूची बनाने पर विचार कर रही है जो मौजूदा 71 अनुभागों का स्थान लेगी। इससे कानूनी जटिलताएं और मुकदमेबाजी में काफी कमी आएगी तथा कर कटौती प्रक्रिया अधिक सरल और पारदर्शी होगी।
इसके अलावा फॉर्म 26एएस के आने से टीडीएस प्रमाणपत्र जारी करने की आवश्यकता नहीं रह गई है क्योंकि यह फॉर्म व्यापक डिजिटल रिकॉर्ड प्रदान करता है। इन पुरानी प्रक्रियाओं को खत्म करने से कर कटौती करने वालों के लिए अनुपालन बोझ में काफी कमी आने की उम्मीद है।
इसके साथ ही जुर्माना लगाने के प्रावधान को सुदृढ़ करना भी महत्त्वपूर्ण सुधार होगा। वर्तमान में जुर्माना लगाने का प्रावधान 45 अलग-अलग खंडों में फैला हुआ है और समिति इन्हें दो या तीन खंडों में एकीकृत करने की सिफारिश कर सकती है। प्रावधानों को एकीकृत करने से संशय दूर होगा और संभावित कानूनी विवादों को कम करने में मदद मिलेगी।
पिछले महीने सीतारमण ने तत्कालीन राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा और वित्त मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। वित्त मंत्रालय के एक्स पर किए गए पोस्ट के अनुसार इस बैठक में मल्होत्रा ने बताया था कि 6 अक्टूबर, 2024 से पोर्टल के माध्यम से 6,500 मूल्यवान सुझाव प्राप्त हुए हैं, जो आयकर कानून को सरल बनाने में लोगों की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
पोस्ट में आगे कहा गया था, ‘राजस्व सचिव ने केंद्रीय वित्त मंत्री को सूचित किया है कि आयकर कानून की विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 विशेषज्ञ उप-समितियां गठित की गई हैं।’